नई दिल्ली: भारत में आयकर छूट की सीमा से ज्यादा सालाना कमाई करने वाले लोगों को इनकम टैक्स (Income Tax) देना होता है. लेकिन, आपको जानकार हैरानी होगी कि सिक्किम राज्य के लोगों को इनकम टैक्स देने से छूट मिली हुई है. सिक्किम में रहने वाले लगभग 95 फीसदी भले ही सालाना कितनी ही कमाई करें, उन्हें आयकर के रूप में एक रुपया भी नहीं चुकाना होता है. सिक्किम के भारत संघ में विलय से ही वहां के लोगों को आयकर न देने की छूट मिली हुई है.
पूर्वोतर के तमाम राज्यों को संविधान के आर्टिकल 371 ए के तहत विशेष दर्जा मिला है. यही कारण है कि देश के दूसरे हिस्से के लोगों के लिए इन राज्यों में संपत्ति या जमीन खरीदने पर पाबंदी है. सिक्किम के मूल निवासियों को तो आयकर अधिनियम की धारा, 1961 की धारा 10 (26एएए) के तहत इनकम टैक्स से छूट हासिल है. यानी राज्य के लोगों को अपनी आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होता.
आयकर अधिनियम के तहत यह छूट सिक्किम के मूल निवासियों को मिली हुई है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद सिक्किम के लगभग 95 फीसदी लोग इस छूट के दायरे में आ गए हैं. पहले यह छूट सिक्किम सब्जेक्ट सर्टिफिकेट रखने वालों और उनके वंशजों को ही दी जाती थी. इनको सिक्किम नागरिकता संशोधन आदेश, 1989 के तहत भारतीय नागरिक बनाया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 26 अप्रैल 1975 (सिक्किम में भारत में विलय से एक दिन पहले) तक सिक्किम में रहनेवाले भारतीय मूल के लोगों को भी सिक्किम के मूल निवासी का दर्जा देने के बाद 95 फीसदी आबादी टैक्स के दायरे से बाहर हो गई है.
सिक्किम की स्थापना 1642 में हुई मानी जाती है. वर्ष 1950 में भारत-सिक्किम शांति समझौते के मुताबिक सिक्किम भारत के संरक्षण में आ गया था. 1975 में इसका भारत के साथ पूर्ण विलय हुआ था. सिक्किम शासक चोग्याल थे. इन्होंने वर्ष 1948 में सिक्किम इनकम टैक्स मैनुअल जारी किया था. भारत में विलय की शर्तों में सिक्किमी लोगों को इनकम टैक्स छूट की शर्ते भी शामिल थी. इसी शर्त को ध्यान में रखते हुए भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) में सिक्किम के तहत मूल निवासियों को आयकर से छूट प्रदान की गई है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved