नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के होशंगाबाद (नर्मदापुरम) जिले के गांव बाचावानी (village bachwani) में गणेशजी की स्थापना नहीं की जाती, इसके पीछे यहां के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से कोई बड़ी विपदा का सामना करना पड़ता है। इससे पीछे से पर्दा उठाने के लिए गांववाले (villagers) कुछ उदाहरण भी बताते हैं।
गांववाले बताते हैं कि एक बार एक परिवार ने घर में गणेशप्रतिमा स्थापित (Ganesh idol installed) कर ली थी। अचानक उस घर में आग लग गई और बड़ी मुश्किल (great difficulty) से आग पर काबू पाया गया था। फायर ब्रिगेड समय पर नहीं पहुंचती तो पूरा गांव आग की चपेट में आ जाता। तब से इस बात को और अधिक बल मिल गया और कोई भी गांव में गणेश स्थापना नहीं करता।
ऐसा नहीं है कि यहां के लोग गणेश उत्सव नहीं मनाते। वे गांव में ही चार शताब्दी पुराने तिल गणेश में पूजन-अर्चन करते हैं। तिल गणेश के बारे में भी कहानी है। बताया जाता है कि ये गणेश प्रतिमा हर साल तिल बराबर बढ़ रही है। पुजारी मनोहरदास बैरागी ने बताया कि इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण एक ही पत्थर से किया गया है। जिस पर ऋद्धि, सिद्धि, मूषक व शुभ लाभ भी बने हुए हैं।
गांव के एक बुजुर्ग बाबूलाल बड़कुर ने बताया कि मेरा जन्म इसी गांव में हुआ है। मैंने बचपन में प्रतिमा को छोटा स्वरूप में देखा था। लेकिन अब यह प्रतिमा बढ़ी हो गई है। पुजारी बैरागी ने बताया कि 400 साल पहले यह प्रतिमा यहां खेत में मिली थी। तभी से यहां मदिंर बनवाकर इस मूर्ति की स्थापना कराई गई। तब से लेकर अब तक माघ महीने की तिल गणेश चतुर्थी को गणेश धाम में मेला लगता है। वहीं ग्राम बाचावानी के लोगों का मानना है कि श्री गणेश उनकी प्राकृतिक विपदाओं से रक्षा करते हैं। ग्रामीणों ने दावा किया कि बाचावानी के खेतों में ओलों से कभी नुकसान नहीं हुआ। यहां ओले गिरते ही नहीं हैं और यदि कभी गिरने भी लगें तो तो मंदिर का घंटा बजाते ही बंद हो जाते हैं।
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