शासन से की मांग, प्रदेश के अन्य प्राधिकरणों में पदस्थ इंजीनियरों को इंदौर भेजें
इंदौर। एक-एक कर प्राधिकरण में महत्वपूर्ण पदों के साथ-साथ इंजीनियर और यहां तक कि कर्मचारी भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। दूसरी तरफ प्राधिकरण के पास ढेर सारे प्रोजेक्ट हैं, जिनमें नई टीपीएस योजनाओं के विकास के साथ-साथ नए ओवरब्रिजों-सडक़ों के निर्माण के अलावा पूर्व से चल रहे सुपर कॉरिडोर सहित अन्य प्रोजेक्ट भी हैं। 50 से अधिक इंजीनियरों का टोटा है, जिसके चलते प्रदेश के अन्य प्राधिकरणों में पदस्थ इंजीनियरों को इंदौर भेजने की मांग की गई है।
कल भोपाल में इंदौर सहित प्रदेश के अन्य प्राधिकरणों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें नगरीय विकास एवं आवास विभाग के आला अफसर मौजूद रहे। आयुक्त मुकेश गुप्ता द्वारा ली गई इस बैठक में इंदौर विकास प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय, कार्यपालन यंत्री अनिल जोशी सहित अन्य अधिकारी भी शामिल हुए। दरअसल प्राधिकरण में विगत कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए। हालत यह है कि विधि, भू-अर्जन, सम्पदा से लेकर प्लानिंग शाखा तक अधिकारियों-इंजीनियरों का बेहद टोटा है। 52 पद इंजीनियरों के ही स्वीकृति के लिए खाली पड़े हैं। यहां तक कि मुख्य अभियंता और सुप्रिडेंटेट इंजीनियर के पद ही खाली हैं, वहीं असिस्टेंड इंजीनियर के 18 पद और सब इंजीनियर के 21 और असिस्टेंड इंजीनियर इलेक्ट्रिक का भी एक पद खाली पड़ा है। 106 स्वीकृत पदों में से 54 ही भरे हैं और 52 पद खाली पड़े हैं। लिहाजा प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा ने भी शासन से अनुरोध किया है कि अन्य प्राधिकरणों में पदस्थ इंजीनियरों को इंदौर भेजा जाए।
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