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    अमेरिका में मंदी का खतरा, 1.75 लाख लोग होंगे बेरोजगार, जानें- भारत पर क्या होगा असर?

  • October 12, 2022

    नई दिल्ली। दुनिया भर पर मंदी (Recession) का खतरा मंडरा रहा है और इसकी जद में सबसे ज्यादा अमेरिका (America) नजर आ रहा है. 40 साल के उच्चस्तर पर महंगाई (Inflation), ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी (Interest Rate Hike) और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) 53 साल के निचले स्तर पर आना कुछ इसी ओर इशारा कर रही है.

    सितंबर में 2.63 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं, जो 1969 के बाद का सबसे निचला स्तर है. ऐसे में अब बैंक ऑफ अमेरिका (Bank Of America) की रिपोर्ट में बेहद डराने वाली संभावना व्यक्त की गई है. इसके मुताबिक अगले साल की पहली छमाही यानी जनवरी-जून (January-June) में अमेरिका मंदी की गिरफ्त में आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश में हर महीने 1.75 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं.



    भारत इस तरह होगा प्रभावित
    अमेरिका में शेयर बाजार की हलचल हो या फिर अन्य कोई महत्वपूर्ण फैसला. उसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलता है. भारत को भी अमेरिकी उथल-पुथल बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है. ऐसे में मंदी की मार के बीच अगर अमेरिका में इतने बड़े स्तर पर नौकरियां जाती हैं, तो ऐसे भारतीय पेशेवर जो देश छोड़कर वहां नौकरी कर रहे हैं, वो भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. गौरतलब है कि लाखों की संख्या में भारतीय अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी ये परेशानी का सबब बनेगा.

    ब्याज दरों में वृद्धि से बिगड़ेंगे हालात
    Bank Of America में यूएस इकनॉमिक्स के हेड माइकल गैपन (Michael Gapen) ने अगले एक साल में अमेरिका में बेरोजगारी दर 5 से 5.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है. ये अनुमान इसलिए ज्यादा खतरनाक नजर आता है, क्योंकि फेड ने भी अगले साल बेरोजगारी दर का अनुमान 4.4 फीसदी लगाया है. अमेरिका में महंगाई का हाल दुनिया के दूसरे विकसित देशों की तरह ही नजर आ रहा है.

    अमेरिका में चार दशक के उच्चस्तर पर पहुंची महंगाई को थामने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है. ब्याज दरों में यह इजाफा न केवल अमेरिका, बल्कि दुनियाभर पर असर डालता है. निवेशकों के फैसले रातों-रात फेड रिजर्व के एक निर्णय से बदल जाते हैं. दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मच जाती है. जो हालात बिगाड़ने वाले साबित होते हैं.

    भयंकर बेरोजगारी संकट आने की आशंका
    अमेरिका में लिए गए इस तरह के फैसलों का सिर्फ अमेरिका की इकोनॉमी पर ही नहीं, बल्कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था (Global Economy) पर भी असर पड़ता है. फिलहाल अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था (US Economy) की बात करें तो बैंक ऑफ अमेरिका का कहना है कि ब्याज दरों में इजाफे का असर 2023 की शुरुआत से दिखाई देने लगेगा. हालात इतने भयानक हो सकते हैं कि हर महीने करीब पौने 2 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं. बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार फेड रिजर्व (Fed Reserve) जिस आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है उससे जल्दी ही हर सामान की डिमांड घट सकती है.

    सबसे पहले इस सेक्टर में होगी छंटनी!
    बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर-दिसंबर यानी मौजूदा तिमाही में जॉब ग्रोथ घटकर आधी रह सकती है. इसके बाद 2023 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च में महंगाई को रोकने के लिए जारी फेड रिजर्व की ब्याज दरों को बढ़ाने समेत दूसरी मुहिम के नतीजे आने शुरु हो जाएंगे. इसके असर से 2023 की शुरुआत में गौर कृषि क्षेत्रों की नौकरियों पर संकट मंडरा सकता है. इससे पहली तिमाही में कुल सवा 5 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं. यही नहीं ये सिलसिला 2023 में पूरे साल जारी रहने की भी आशंका है यानी करीब 21 लाख लोग 2023 में अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं.

    महंगाई पर काबू पहली प्राथमिकता
    अमेरिका में अगर 40 साल की सबसे ज्यादा महंगाई है तो फिर इसे कंट्रोल करने के लिए फेड रिजर्व ने भी ब्याज दरों को बीते चार दशक में सबसे तेजी से बढ़ाया है. फेड रिजर्व के मुताबिक फिलहाल उनका टारगेट महंगाई को कंट्रोल करना है इसके असर से अर्थव्यवस्था के मंदी में आने का जोखिम भी लेना मजबूरी है.

    बैंक ऑफ अमेरिका में यूएस इकनॉमिक्स के हेड माइकल गैपन के मुताबिक लेबर मार्केट में 6 महीनों तक कमजोरी बनी रह सकती है. लेकिन ये कमजोरी 2008 या हाल में कोरोना के दौरान 2020 में बढ़ी बेरोजगारी दर जैसी नहीं होगी. अगर अभी बेरोजगारी दर से 5.5 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है तो इसकी तुलना अप्रैल 2020 से करने पर डर का साया कुछ कम हो जाएगा क्योंकि ढाई साल पहले अप्रैल 2020 में अमेरिका में बेरोजगारी दर 15 फीसदी पर पहुंच गई थी.

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