वाशिंगटन। महंगाई के मोर्चे (inflation front) पर लगातार बढ़ रही चुनौती को लेकर दुनिया के ज्यादातर देश चिंतित हैं। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) ने दावा किया है कि अमेरिका (America) में मंदी का दौर (recession period) नहीं आने जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, “मेरे विचार में, हम अभी मंदी के दौर में नहीं जा रहे हैं।” बाइडन ने आगे कहा, “अमेरिका में बेरोजगारी दर अभी भी इतिहास में सबसे कम है। यह मात्र 3.6 फीसदी क्षेत्र में है। हम अभी भी खुद को निवेश करने वाले लोगों के साथ पाते हैं…”
जो बाइडन ने कहा, “मेरी आशा है कि हम इस तीव्र विकास से स्थिर विकास की ओर बढ़ेंगे, इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था कुछ नीचे आती दिखेगी। यह भगवान की इच्छा है, मुझे नहीं लगता कि हम मंदी का दौर देखने जा रहे हैं।”
भारत को छोड़ ज्यादातर बड़े देशों पर पड़ेगी मंदी की मार
भारत (India) को छोड़कर अमेरिका और चीन जैसे दुनिया के ज्यादातर बड़े देशों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है। आर्थिक संकेतकों के आधार पर ब्लूमबर्ग की ओर से दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वे में दावा किया गया है, पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे कई एशियाई देश भी मंदी की चपेट में आ सकते हैं।
सर्वे के मुताबिक, चीन के मंदी में फंसने की आशंका 20 फीसदी है। अमेरिका की 40 फीसदी व यूरोप की 55 फीसदी है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। इससे मंदी की आशंका बढ़ गई है। एशियाई अर्थव्यवस्थाएं यूरोप और अमेरिका के बजाय ज्यादा लचीली नजर आ रही हैं। मोटे तौर पर एशियाई देशों के मंदी में घिरने की आशंका 20 से लेकर 25 फीसदी है।
छोटे देशों में खतरा कम
न्यूजीलैंड 33 फीसदी
द.कोरिया 25 फीसदी
जापान 25 फीसदी
हांगकांग 20 फीसदी
ऑस्ट्रेलिया 20 फीसदी
ताइवान 20 फीसदी
पाकिस्तान 20 फीसदी
मलयेशिया 13 फीसदी
वियतनाम 10 फीसदी
थाईलैंड 10 फीसदी
फिलीपीन 08 फीसदी
इंडोनेशिया 03 फीसदी
श्रीलंका पर सबसे ज्यादा 85 फीसदी संकट
सर्वे में दावा किया गया है कि श्रीलंका इस संकट से सबसे बुरी तरह प्रभावित होगा। साल के आखिर में या अगले साल तक इस बात की 85 फीसदी आशंका है कि यह मंदी से जूझ रहा होगा। हालांकि, इससे पहले कराए गए सर्वे में श्रीलंका के मंदी में फंसने की आशंका महज 33 फीसदी थी।
अर्थशास्त्रियों ने कहा, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों की तरह न्यूजीलैंड, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया एवं फिलीपीन के केंद्रीय बैंक लगातार बढ़ रही महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
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