नई दिल्ली। पंजाब में आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अंतर्विरोध तेज होता जा रहा है। भगवंत सिंह मान को अब तक मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित न करने से नाराज पार्टी विधायक रूपिंदर कौर रूबी के पार्टी छोड़ने के बाद आप में एक और बगावत होने की संभावना साफ नजर आ रही है। इसका इशारा शनिवार को तब दिखाई पड़ा जब पार्टी की ओर से बुलाए गए मुख्यमंत्री के घेराव कार्यक्रम में पार्टी के ही कई विधायक नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि अगर पार्टी ने जल्द ही मुख्यमंत्री के मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया तो पार्टी के कुछ और विधायक केजरीवाल का साथ छोड़ सकते हैं।
दरअसल, आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने शनिवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का विरोध करने का कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत पार्टी विधायकों को अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री चन्नी के चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास का घेराव करना था। पार्टी की तरफ से इसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम के रूप में प्रचारित किया गया था। लेकिन इसी कार्यक्रम में पार्टी के ही कई विधायक नहीं पहुंचे। इतना ही नहीं, पार्टी के विधायकों के समर्थक तक इस कार्यक्रम में नहीं देखे गए जिससे अंतर्कलह की कहानी सतह पर आती दिख रही है।
माना जा रहा है कि रूपिंदर कौर रूबी प्रकरण से सीख लेते हुए ही पार्टी आलाकमान ने सभी मौजूदा विधायकों को पार्टी की ओर से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। अगला एक हफ्ता इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है। घेराव कार्यक्रम में पार्टी के केवल सात विधायक ही पहुंचे थे। अमन अरोड़ा, बलजिंदर कौर, बुधराम और अमरजीत इस कार्यक्रम से दूर ही रहे। उनके समर्थकों तक को इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखते हुए देखा गया। ये विधायक भी भगवंत सिंह मान के करीबी बताए जाते हैं।
भगवंत मान की ये कोशिश
माना जा रहा है कि भगवंत सिंह मान अपने समर्थकों के माध्यम से पार्टी आलाकमान पर खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कराने के लिए प्रयासरत हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी उनकी यह महत्वाकांक्षा सामने आई थी, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल इसके लिए सहमत नहीं हुए। अब इस बार भी अब तक उन्हें पार्टी का चेहरा न घोषित कर पार्टी ने अपनी तरफ से इशारा दे दिया है। माना जा रहा है कि इसी कारण से भगवंत सिंह मान अंदरखाने अपनी राजनीति तेज कर चुके हैं। माना जा रहा है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान उनका यह रुख पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।
क्यों घोषित नहीं हुआ चेहरा
आम आदमी पार्टी के पंजाब इकाई के एक नेता के मुताबिक पार्टी उत्तराखंड में चेहरा घोषित कर चुकी है। लेकिन पंजाब जैसे अहम राज्य में अब तक किसी नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगाई जा सकी है। इससे कुछ दावेदारों के चेहरे मुरझाने लगे हैं। पार्टी आलाकमान शुरुआती दौर में ही चेहरा घोषित कर पार्टी में अंतर्कलह बढ़ाना नहीं चाहता है। लेकिन इतना तय है कि एक लोकप्रिय चेहरा देकर पार्टी चुनाव में उतरेगी और जीत हासिल करेगी।
कांग्रेस ने ली इस पर चुटकी
वहीं, पंजाब कांग्रेस के नेता राजा बरार ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को जमीन का एहसास हो चुका है। उन्हें पता चल चुका है कि पंजाब में कांग्रेस ही दोबारा सत्ता में वापस आ रही है, यही कारण है कि आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल से नाराज विधायक कांग्रेस के साथ जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पंजाब जीतने का सपना नहीं देखना चाहिए। लोगों ने दिल्ली में उनके ‘दिल्ली मॉडल’ की कलई उतरते देख लिया है।
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