उज्जैन। जिले के 8 से 10 गाँव ऐसे हैं जहाँ के किसानों को अपने खेतों में जाने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है और मजदूर तो वहाँ जाने से साफ मना कर देते हैं, क्योंकि जो रास्ते में पुल है वह इतना खतरनाक है कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। कई बार जनप्रतिनिधियों को भी कहा लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
उज्जैन जिले के बडऩगर तहसील के 8 से 10 गाँव के किसानों के खेतों पर काम करने के लिए मजदूर नहीं आते हैं। दरअसल इन गांवों के खेतों पर काम करने के लिए मजदूर स्वयं ही मनाकर देते हैं और इसका मुख्य कारण है गाँव से खेतों की ओर जाने के लिए पानी की नहर के ऊपर बना एक पुल है जिसे मौत का झूलता पुल भी कहा जा सकता है। बडऩगर तहसील के गांव मौला खेड़ी में नागदा ग्रेसिम तक पहुँचाने के लिए पानी की नहर है जिसमें बारिश के समय पानी इक_ा होता है और जब पानी की आवश्यकता होती है तो यहाँ से पानी छोड़कर आगे बढ़ाया जाता है। इस नहर के ऊपर से किसानों को खेत तक जाने के लिए वर्षों पहले एक पुल बनाया गया था। यह पुल धीरे-धीरे टूटकर खंडहर होता गया और ग्रामीणों का खेतों पर जाना मुश्किल होने लगा। मौला खेड़ी गांव में बना यह पुल जिस पर होकर 8 से 10 गांव के ग्रामीण अपने खेतों तक जाते हैं। नहर के ऊपर बने टूटे पुल की शिकायत ग्रामीणों ने कई बार की लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला। मजबूर ग्रामीणों ने इस पुल पर लोहे की अस्थाई रैलिंग लगाकर पुल बनवाया लेकिन वह भी अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय जब पानी नहर में आता है तो पुल टूटने के कारण पानी ओवरफ्लो होता है और खेतों में भरा जाता है जिससे फसलें भी खराब हो जाती है। खेतों में काम करने के लिए नहर में जब पानी भरा होता है उस समय मजदूर भी काम करने से मना कर देते हैं। किसानों को प्रतिदिन अपने खेतों पर जाने के लिए इस जानलेवा पुल पर से ही आना जाना करते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों तक इस बात की गुहार लगाई है लेकिन उनकी सुनवाई आज तक नहीं हो सकी है।
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