व्‍यापार

देश में टैक्स की दो प्रणाली मौजूद, क्‍या खत्‍म होगा पुराना सिस्‍टम? मिल रहे हैं संकेत!

नई दिल्ली। अगले साल का बजट 2024 के आम चुनाव से पहला आखिरी फुल टाइम बजट होगा. इसके बाद 2024 में भी सरकार फरवरी में बजट (budget) पेश करेगी लेकिन ये अंतरिम बजट होगा. 2024 में नई सरकार के गठन के बाद संभवत: जुलाई में फुल टाइम बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में चुनाव से पहले उम्मीद है कि सरकार (government) लोगों को कई तरह की रियायतें दे सकती हैं. लेकिन इन रियायतों का एलान करने से पहले सरकार बजट में उन योजनाओं (plans) पर ज्यादा फोकस करेगी जिनको पूरा किया जाने के लिए 2022 का लक्ष्य तय किया गया था मसलन, किसानों की आय दोगुनी करना, सबको घर मुहैया कराना. कोरोना (Corona) की वजह से इन टारगेट्स को हासिल करने में सरकार को देरी हुई है लिहाजा आगामी बजट का फोकस पहले इन अधूरे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए धन आवंटन पर रह सकता है.

टैक्स की दरों में छूट दे सकती है सरकार!
इस बार के बजट में टैक्स स्लैब्स में बदलाव भी किए जाने के संकेत रिटायरमेंट से पहले राजस्व सचिव तरुण बजाज ने दिए हैं. लेकिन ये बदलाव पुराने टैक्स सिस्टम (old tax system) में नहीं किए जाएंगे. इन बदलावों को अगर किया गया तो सरकार 2020 में लाए गए नए टैक्स सिस्टम में करेगी. इसकी वजह है कि नए टैक्स सिस्टम को सरकार की उम्मीदों के मुताबिक लोगों ने नहीं अपनाया है. ऐसे में इस नई प्रणाली में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर सरकार धीरे-धीरे पुराने टैक्स सिस्टम को खत्म करके केवल एक ही टैक्स प्रणाली को जारी रखने की योजना पर आगे काम बढ़ा सकती है.


टैक्स स्लैब्स में होगा बदलाव!
फिलहाल टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं. पहली प्रणाली जिसे ओल्ड सिस्टम कहा जाता है इसमें 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं जमा करना होता है. इसके अलावा भी 80C के तहत डेढ़ लाख रुपए के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है. इस हिसाब से तकरीबन साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है. ऐसे में रिटायरमेंट से पहले राजस्व सचिव तरुण बजाज ने सुझाव दिया है कि छूट के बाद अगर साढ़े 6 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो सकती है तो इसकी जगह टैक्स सिस्टम ऐसा होना चाहिए जिसमें बगैर किसी छूट के साढ़े 6 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री रहे.

क्या खत्म होगी पुरानी टैक्स प्रणाली?
तरुण बजाज के मुताबिक पुराने टैक्स सिस्टम में लोगों को प्लानिंग करने का फायदा मिलता है. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनके पास निवेश के लिए पैसा ही नहीं है और उन्हें टैक्स चुकाना पड़ता है. वहीं नए टैक्स सिस्टम में पहले ही कोई छूट ना होने से टैक्स चुकाने की बंदिश है इसलिए वो भी किसी तरह से टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद नहीं है. बजाज का कहना है कि इन विसंगतियों पर चर्चा हो रही है और उन्हें उम्मीद है कि उनके बाद राजस्व सचिव का पदभार संभालने वाला अधिकारी इन मुद्दों को गंभीरता से उठाएगा.

कैसे नया टैक्स सिस्टम बनेगा लोकप्रिय?
अब सवाल उठता है कि कैसे नए टैक्स सिस्टम को लोकप्रिय बनाया जा सकता है. इसके लिए बजाज का सुझाव है कि नए टैक्स सिस्टम के न्यूनतम टैक्स स्लैब (Tax Slab) ढाई लाख को बढ़ाकर 7 लाख कर देना चाहिए. इसके लिए एक सरल सा टैक्स स्ट्रक्चर बनाए जाने की जरुरत है जिसके लिए साधारण गणित से भी काम चल सकता है, जिसमें केवल ये देखना होगा कि रेवेन्यू पर कितना असर लिमिट बढ़ाने से होगा. इसी हिसाब से टैक्स स्लैब की सीमा को तय करके लोगों को राहत दी जा सकती है और टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने पर भी फोकस किया जा सकता है.

भारत में टैक्सपेयर्स की संख्या काफी कम
भारत (India) में बड़ी संख्या में ऐसे करदाता मौजूद हैं जो अपनी सालाना इनकम 7 लाख से भी कम जाहिर करते हैं. तरुण बजाज के मुताबिक ऐसे में जरुरत है कि टैक्स स्कीम पर फिर से मंथन किया जाए और एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें छूट के विकल्प घटाकर टैक्स स्लैब्स को बड़ा किया जाए. बजाज का मानना है कि ऐसा करने पर ज्यादा से ज्यादा लोग नए टैक्स सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो फिर सरकार के लिए 2 की जगह एक ही टैक्स सिस्टम को बनाए रखने का फैसला करना आसान हो जाएगा.

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