- रोजाना हो रहे तीन से अधिक पोस्टमार्टम-185 दिन में 440 पीएम
- अधिकांश बेरोजगारी, घर की स्थिति खराब होने और डिप्रेशन के कारण लोग जान दे रहे हैं जिससे मौतें बढ़ी
उज्जैन। पूरे जिले में कोरोना के बाद आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं जिसके कारण अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में लोड बढ़ गया है। लोग आर्थिक रूप से परेशान हैं और जान दे रहे हैं। वर्तमान दौर में प्रतिस्पर्धा के युग में बेरोजगारी घर की स्थिति खराब होना मार्केट में अधिक उधारी होना और कारोबार में घाटे होने पर डिप्रेशन में आकर कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं, उज्जैन में चलन लगातार बढ़ रहा है। उज्जैन शहर में जनवरी से लेकर 6 जुलाई तक के पोस्टमार्टम के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 440 पोस्टमार्टम इस अवधि में अस्पताल में विभिन्न घटनाओं के चलते मृत्यु के बाद हुए हैं।
डॉ. विनीत अग्रवाल के अनुसार जितने पोस्टमार्टम हुए हैं उनमें 50 प्रतिशत से अधिक मामले आत्महत्या के हैं और आत्महत्या करने में युवा और अधेड़ वर्ग अधिक है। यह अधिकांश रूप से डिप्रेशन में आने के बाद यह कदम उठाते हैं। मतलब स्पष्ट है कि 220 से अधिक आत्महत्या पिछले 6 महीने और कुछ दिनों में हो चुकी है। इसके अलावा अन्य मामलों में एक्सीडेंट एवं अन्य कारणों से मौत हुई है। इन सब आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो स्थिति स्पष्ट है कि हमारा युवा वर्ग डिप्रेशन में जल्दी आ रहा है और इसी के चलते आत्महत्या जैसे कदम उठा रहा है। आत्महत्या के इन मामलों में फाँसी और जहर खाना तथा रेल की पटरी पर आत्महत्या जैसे मामले हैं।