इंदौर (Indore)। शहर के जेलरोड पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक का कबाड़ा होता है। यहां बेतरतीब खड़े वाहन पूरी सड़क पर जाम लगा देते हैं। ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम ने कई बार यहां ट्रैफिक सुधारने के प्रयोग किए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। इसका सबसे बड़ा कारण बिल्डिंगों में पार्किंग की जगह दुकान बना लेना है, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की मुहिम यहां नहीं पहुंच पाई है। यहां तलघर में भी बिल्डरों ने छोटी-छोटी दुकानें बनाकर बेच दी हैं।
पूरे शहर में पार्किंग की जगह पर दुकानें बनाने और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां चलाने के विरोध में जिला प्रशासन द्वारा मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम में शहर के कई नामी संस्थानों के बेसमेंट में बनी दुकानों को सील कर दिया गया है और कई बिल्डंगों में तो अब पार्किंग भी होने लगी है, जिसके कारण वाहन सड़क पर नहीं खड़े होते हैं। इंदौर में चल रही इस मुहिम की हर कोई प्रशंसा कर रहा है, लेकिन जेलरोड इस मुहिम से अछूता है। मोबाइल और उसकी एसेसरीज का बड़ा मार्केट होने के कारण यहां दिनभर हजारों वाहनों का आवागमन होता है। वहीं एक-एक मल्टी में छोटी से बड़ी कई दुकानें हैं, लेकिन उनके पास पार्किंग व्यवस्था नहीं है। इस चक्कर में यहां आने वाले ग्राहक बेतरतीब तरीके से अपने वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे दिनभर ट्रैफिक जाम होता रहता है।
पहले ट्रैफिक विभाग ने भी एक प्रयोग किया था, जिसमें तीन-तीन दिन वाहनों को एक ओर पार्क किया जाकर दूसरी ओर खुला रखा था। नगर निगम ने भी यहां लेन बनाई, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हुई। अब यहां ट्रैफिक सुधार के नाम पर केवल ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम गलियों में खड़े दोपहिया वाहनों को उठाने का काम करते हैं। पुलिस भी इसमें ही रुचि दिखाती है, जबकि यहां पार्किंग एक बड़ी समस्या है। अब जब जिला प्रशासन की मुहिम चल रही है तो यहां आने वाले ग्राहकों को भी इस मुहिम से एक आस बंधी है कि कम से कम उनकी गाड़ी की पार्किंग तो हो सकेगी। आश्चर्य की बात है कि शहर के इस सबसे व्यस्ततम मार्ग की ओर अभी तक जिला प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान नहीं गया है। अगर यहां के नक्शे जांचे जाएं तो अधिकांश बिल्डिंग गलत तरीके से बनी हुई मिलेंगी।
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