उज्जैन। जिला अस्पताल पूरी तरह से अव्यवस्था का शिकार है और दवाएँ तो मिलती नहीं बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सक भी यहाँ नहीं हैं। जितने डॉक्टर हैं उन्हीं के भरोसे यहाँ आने वाले बीमारों को उपचार मिल पाता है। चर्मरोग के मरीजों को यहाँ आने के बाद वापस जाना पड़ता है क्योंकि कई सालों से चर्म रोग के डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे ही हाल चरक अस्पताल में भी हैं। यहां गिनती के शिशु रोग जिम्मेदारी संभाल रहे हंै। संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल गरीबों के लिए सुविधाजनक होना चाहिए लेकिन यहाँ आने वाले गरीब लोगों को उपचार के नाम पर केवल पलंग पर भर्ती कर दिया जाता है और प्राथमिक उपचार की सुविधा मिलती रहती है।
गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों को भर्ती कराने के बाद दवाईयाँ यहाँ से नहीं मिल पाती हैं और उनके परिजनों को बाहर से दवाईयां खरीदना पड़ती हैं। इसके अलावा यहाँ चर्म रोग विशेषज्ञ और ऑपरेशन के दौरान बेहोश करने वाले विशेषज्ञ की लंबे समय से कमी बनी हुई है और शासन नियुक्ति नहीं कर रहा है। इसके अलावा 25 अन्य डॉक्टरों का टोटा भी कई सालों से बना हुआ है। जितने डॉक्टर हैं वे ही मरीजों को उपचार दे रहे हैं। ऐसे ही हालात चरक अस्पताल में बने हुए हैं। करोड़ों रुपए के अस्पताल में केवल गिनती के डॉक्टर ही शिशुओं की देखभाल कर रहे हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved