उज्जैन। जिले की सीमा में मौजूद स्टेट हाईवे तथा अन्य सड़कों पर 380 ऐसे खतरनाक मोड़ पहले से चिह्नित थे वहीं पिछले साल के अंत तक शहर के अंदर 55 और तिराहे और चौराहे चिह्नित किये थे जहां ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं। इनके सुधार का काम इस साल भी नहीं हो पाया है। करीब तीन वर्ष पहले उज्जैन-उन्हेल रोड तथा आगर रोड पर दो बड़ी सड़क दुर्घटनाएँ हुई थी। पहली घटना में मारुति वेन में सवार 12 लोगों की जान चली गई थी, जबकि दूसरी घटना में मारुति वेन में ही सवार 5 लोगों की मौत हो गई थी बाकी 3 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एक के बाद एक हुए इन भीषण सड़क हादसों के बाद दुर्घटना में जान गँवाने वाले लोगों के परिजनों के साथ-साथ नागरिकों ने भी राज्य शासन से ऐसे सभी खतरनाक मार्गों के सुधार की माँग सरकार के नुमाइंदों से की थी। मौके की नजाकत को देखते हुए प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों ने भी मामले को गंभीरता से लिया और उज्जैन जिले की सभी प्रमुख सड़कों का सर्वे कर अत्यधिक दुर्घटना संभावित मोड़ और चौराहों को चिन्हित करने के निर्देश दिए थे। इसी के बाद से एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने जिले की सीमा के अंतर्गत आने वाले स्टेट हाइवे और प्रमुख सड़कों का साल 2014 से साल 2020 तक हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े के आधार पर कुल 380 स्थान, मोड़ तथा चौराहे हैं जहाँ अक्सर गंभीर सड़क हादसे होते हैं। इन्हें चिन्हित कर ब्लैक स्पाट का नाम दिया गया था। वहीं पिछले साल दिसंबर महीने में शहर के आंतरिक मार्गों पर भी 55 ऐसे खतरनाक मोड़ और चौराहे चिह्नित किए थे जहां दो साल में कई सड़क दुर्घटनाएँ हुईं। ऐसे स्पॉट यह साल गुजर जाने के बाद भी संबंधित विभाग सुधार नहीं पाए हैं और वर्ष का समापन होने जा रहा है।
ये स्थान रहते हैं अक्सर सुर्खियों में
जिले की सीमा में खतरनाक 380 स्थानों में से 5 ब्लैक स्पाट ऐसे हैं, जो शहर के नजदीक हैं। इनमें नानाखेड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इंदौर रोड का तपोभूमि चौराहा, आगर रोड पर दो स्थान ज्यादा खतरनाक हैं। इनमें ग्राम पिपलई पुलिया से लेकर पान बिहार तिराहा तथा ग्राम पलवा तिराहा से लेकर नाकोड़ा पेट्रोल पंप तक का ऐरिया, देवास रोड पर चंदेसरा तिराहा से लेकर एस्सार पेट्रोल पंप का 500 मीटर के दायरे में ज्यादा सड़क दुर्घटनाएँ होती है। उज्जैन-जावरा रोड पर सोड़ंग चौराहा से लेकर सारीबारी मोड़ तिराहा तक अधिक सड़क दुर्घटनाएँ होती है। इसके अतिरिक्त शहर के अंदर ऐसे 20 खतरनाक स्पॉट दो साल पहले चिन्हित हुए थे और बाद में और सर्वे हुआ तो यह आंकड़ा बढ़कर 55 तक पहुंच गया था। इनमें से किसी का भी सुधार अभी तक नहीं हो पाया है।
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