नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के रुझानों में केंद्र में एक बार फिर एनडीए (NDA) की सरकार बनने जा रही है। एग्जिट पोल्स में भाजपा (BJP) को प्रचंड बहुमत दिया गया था, लेकिन चुनाव परिणाम इसके विपरीत आ रहे हैं, जिसमें एनडीए की सरकार तो बन रही है, किन्तु जो दावा किया जा रहा था उस दावे के करीब भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। भाजपा ने जहां 2019 में 303 सीटें अपने अकेले के दम पर जीती थी वह इस बार बहुमत के आंकड़े के पास भी नहीं पहुंच पा रही है। तो आइए जानते हैं कि अगले करीब छह महीने में किन राज्यों में चुनावी रण सजेगा और लोकसभा चुनाव का उन पर क्या असर होगा।
हरियाणा विधानसभा चुनाव
हरियाणा की मौजूदा सरकार का कार्यकाल इसी साल नवंबर में खत्म हो रहा है। ऐसे में नवंबर से पहले ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। भाजपा सरकार का हरियाणा में यह लगातार दूसरा कार्यकाल है और पार्टी को एंटी इनकंबेंसी का खतरा हो सकता है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन भी किया और मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को सीएम बनाया। लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स में हरियाणा की 10 सीटों में से अधिकतर पर भाजपा का कब्जा बताया गया है। एक दो सीट का नुकसान भी हो सकता है। जिससे साफ है कि आम चुनाव में लोगों ने स्थिर सरकार को वोट किया है। हालांकि विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे अहम होंगे। पिछले चुनाव में भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी और अब यह गठभंधन भी टूट चुका है। ऐसे में यकीनन भाजपा को हरियाणा में चुनौती का सामना करना पड़ेगा। भाजपा एक बार फिर मोदी नाम के सहारे होगी। हरियाणा में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव के बाद जिस राज्य के चुनाव पर सर्वाधिक नजर रहेगी, उसमें महाराष्ट्र का चुनाव भी एक है। एग्जिट पोल्स में महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन को 30-35 सीटें मिलने की बात कही गई है। वहीं इंडिया गठबंधन को 15-18 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन एग्जिट पोल के उलट इंडिया गठबंधन एनडीए को कड़ी टक्कर दे रहा है। यदि ये रुझान परिणाम में बदलते हैं तो इसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियां फोकस में होंगी। महाराष्ट्र में हाल के वर्षों में जो राजनीतिक टूट-फूट और फेरबदल हुए हैं, उससे साफ है कि विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। महाविकास अघाड़ी की पार्टियों शिवसेना यूबीटी और शरद पवार की एनसीपी को लोगों का भावनात्मक समर्थन मिल रहा है। दोनों पार्टियों को बीते महीनों में टूट का सामना करना पड़ा है। देखने वाली बात ये होगी कि टूट कर बनीं दो पार्टियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को लोग कितना पसंद करते हैं, या इन्हें लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा और अगर नाराजगी दिखी तो इसका भाजपा पर कितना असर होगा?
झारखंड विधानसभा चुनाव
झारखंड में अगले साल जनवरी से पहले चुनाव होने हैं। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जेल में हैं। एग्जिट पोल्स के नतीजों में राज्य की नौ सीटों पर एनडीए और पांच सीटों पर विपक्षी गठबंधन को जीत मिल सकती है। हेमंत सोरेन के जेल में रहने से विपक्षी गठबंधन को लोगों की सहानुभूति मिल सकती है। विधानसभा चुनाव में भी झामुमो को इस सहानुभूति का फायदा हो सकता है। भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। हालांकि भगवा पार्टी राज्य में किसी लोकप्रिय चेहरे की कमी से जूझ रही है। जिसके चलते विधानसभा चुनाव में भाजपा और विपक्षी गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव
दिल्ली में अगले साल की शुरूआत में ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। दिल्ली सीएम और आम आदमी पार्टी के कई नेता शराब घोटाले के मामले में जेल में हैं। दिल्ली पर आम आदमी पार्टी की अच्छी खासी पकड़ है, लेकिन दिल्ली शराब घोटाले के मुद्दे पर आप पार्टी सवालों के घेरे में है। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दिल्ली सरकार को सत्ता से बाहर करती है और लोकसभा चुनाव की तरह भाजपा पर भरोसा जताती है, या फिर सहानुभूति, फ्री बिजली पानी के मुद्दे पर दिल्ली की आप सरकार को समर्थन जारी रखती है। लोकसभा चुनाव की बात करें तो एग्जिट पोल्स में दिल्ली की सात सीटों में से अधिकतर पर भाजपा को विजयी बताया गया है।
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