रामेश्वर धाकड़, भोपाल
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के सवा लाख से ज्यादा कार्यकर्ता (Worker) एक बार फिर सरकार का अंग बनने जा रहा है। पार्टी लंबे समय बाद फिर से अंत्योदय समितियां (Antyodaya Committees) गठित करने की तैयारी कर रही है। समितियां ग्राम पंचायत (Village Panchayat) से लेकर नगर निगम तक बनेंगी। समिति के सदस्य सरकार की हर योजना की निगरानी करेंगे। साथ ही गड़बड़ी की रिपोर्ट (Report) भी संगठन के जरिए सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे।
भाजपा (BJP) के पितृ पुरूष पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyay) ने अंतिम पंक्ति के व्यक्ति की सेवा के लिए ‘अंत्योदय’ का मंत्र दिया था। भाजपा (BJP) इसी मंत्री को साकार करने के लिए अंत्योदय समितियां गठित करती है। जिससे सुुदूर अंचल में भी जरूरतमंदों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। हालांकि भाजपा सरकार (BJP Government) के पिछले कार्यकाल में अंत्योदय समितियों गठित नहीं हो पाईं थी। पूर्व प्रदेश महामंत्री एवं अंत्योदय प्रभारी अजय प्रताप सिंह (In-charge Ajay Pratap Singh) ने समितियां गठित करने के लिए पूरा होमवर्क (Home Work) कर लिया था, लेकिन सरकार (Government) ने विधानसभा चुनाव
(Assembly Elections) तक समितियां गठित नहीं की। अब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP state president VD Sharma) फिर से अंत्योदय समितियां गठित करने की रणनीति बना रहे हैं। शर्मा ने कहा कि अंत्योदय समितियां (Antyodaya Committees) के गठन का काम जल्द शुरू किया जाएगा। एक पूरी रणनीति बनाकर इस पर काम किया जाएगा। जिससे समितियों का उद्देश्य सार्थक हो सके।
इस तरह गठित होंगी समितियां
प्रदेश ग्राम पंचायत अंत्योदय समितियां में 5-5 सदस्य होंगे। प्रदेश में 22 हजार 600 करीब ग्राम पंचायत हैं। ग्राम पंचायतों में ही 1 लाख 13 हजार सदस्य एडजस्ट होंगे। इसके बाद 313 विकासखंड स्तरों पर 11-11 सदस्यों की समितियां बनेंगी। फिर जिला स्तर पर 21-21 सदस्यों की समितियां होंगी। नप स्तर पर 11-11 सदस्य, नपा स्तर पर 15-15 सदस्य और ननि स्तर पर 51-51 सदस्यों की समितियों होंगी।
समिमियों के प्रमुख कार्य
पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर की हर योजना, परियोजना एवं निर्माण कार्यों पर निगरानी। शिक्षा, स्वास्थ्य , सड़क, सफाई आदि की निगरानी। राशन व्यवस्था पर निगरानी। सरकार के महत्वपूर्ण अभियानों में इन समितियों की सक्रिय भागीदारी होती है। खास बात है कि समितियों की हर महीने बैठकें होती है। बैठकों के लिए शासन स्तर से खर्च की व्यवस्था भी की जाती है।
लंबी है समिति गठन की प्रक्रिया
अंत्योदय समितियों के गठन की प्रक्रिया लंबी है। पंचायत स्तर से पार्टी नेताओं ेेके नाम भोपाल तक बुलाए जाते हैं। संबंधित विधायक के जरिए नाम आते हैं। पिछली बार जो नाम बुलाए गए थे, उनको लेकर विधायक एवं पार्टी नेताओं के बीच टकरार की स्थिति सामने आई थी। पंचायत स्तर की समितियों के नामों के विवाद प्रदेश कार्यालय तक पहुंचे थे। पिछली बार अंत्योदय समितियां गठित करने में सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई थी।
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