नई दिल्लीः आजाद भारत (India) की लोकसभा (Lok Sabha) में अनाधिकृत (unauthorized) तौर से प्रवेश करने का सनसनीखेज मामला अपने आप में बहुत गंभीर है. चलते सदन में बिना अनुमति के प्रवेश करने, सुरक्षा घेरा तोड़ने (breaking the security cordon) पर देशद्रोह जैसी धाराएं लगाई जा सकती है. केके मनन के मुताबिक इस मामले में चूकि अभी आईपीसी (IPC) ही लागू है, नई भारतीय दंड़ सहिता कानून देशद्रोह (Indian penal law treason) की धारा भी लगाई जा सकती है, क्योंकि संसद के भीतर इस तरह के कृत्य देश के खिलाफ माना जा सकता है. लिहाजा देशद्रोह के अधिनियमों के तहत कार्रवाई की जा सकती है और देशद्रोह के तहत उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान है.
बता दें कि संसद परिसर में कोई भी व्यक्ति बिना वैध प्रवेश पत्र के एंट्री नहीं ले सकता, जो भी संसद के अंदर जाता है और अगर वो सांसद नहीं है तो उसका प्रवेश पत्र अलग से बनता है. भले ही वो कोई सरकारी अधिकारी ही क्यों न हो. खास तौर से अब से 22 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को संसद में हुए आतंकी हमले के बाद से तो सुरक्षा को लेकर यह दावा किया जाता है कि कोई भारी-भरकम वाहन लेकर भी परिसर में हमला करना भी चाहे तो भी नहीं कर सकता. परिसर में घुसने के लिए कई स्तरों की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है.
आम आदमी के लिए परिसर में घुसने का आसान और तकरीबन एक मात्र तरीका किसी सांसद से परिसर में प्रवेश की अनुमति पत्र लेना ही है. कोई भी सामान्य व्यक्ति जो संसद परिसर में दाखिल होना चाहता है, उसे अपने जानने वाले किसी सांसद से निर्धारित प्रोफार्म पर एक पत्र लेना होता है. उस व्यक्ति को सांसद की चिट्ठी लेकर संसद भवन के रिसेप्शन में जाना होता है. वहां आने वाले व्यक्ति का आधार या उसी तरह के पहचान पत्र को लेकर सुरक्षा विभाग परिसर में किसी निश्चित स्थान तक जाने के लिए प्रवेश पत्र देता है.
सुरक्षा में लगे कर्मचारी बहुत ही सघनता से उस व्यक्ति की जांच करते हैं. फिर निर्धारित गेटों से उस व्यक्ति को को प्रवेश पत्र में दी गई जगह तक जाने की इजाजत दी जाती है. संसद की सुरक्षा में लगी एजेंसियां लगातार सतर्कता रखती हैं और लोगों के पास चेक भी करते रहते हैं. हालांकि ज्यादातर आगंतुकों को एक ही जगह तक रहना होता है. अगर संसद की कार्यवाही देखने के लिए दर्शक दीर्घा का प्रवेश पत्र होता है तो उसे कतार बनवा कर ही दीर्घा में प्रवेश करने या निकलने दिया जाता है.
बहुत थोड़े से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें मंत्रियों के कक्ष तक जाने की अनुमति मिली होती है. हालांकि ये अनुमति मंत्री की ओर से ही मिलती है, जो मंत्रियों के निजी सचिव बगैरह दिलाते हैं. ऐसे ही लोग परिसर में कुछ इधर-उधर घूम सकते हैं. संसद के प्रवेश द्वार और सभा कक्ष में भी बहुत से सुरक्षाकर्मी रहते हैं जिन्हें मार्शल कहा जाता है. ऐसे में कोई चाहे तो भी बहुत आगे तक सदन में नहीं जा सकता. उसे रोक ही लिया जाएगा. जैसा कि इस मामले में भी देखा गया. मार्शल तुरंत एक्टिव हो गए थे. चलते सदन में सांसदों के अलावा किसी और का प्रवेश सदन की अवमानना के बराबर माना जाता है.
हालांकि बुधवार को सदन में घुसपैठ करने वाले बहुत अंदर तक घुस आए थे. ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन इसे सुरक्षा में खामी के तौर पर ही देखा जाएगा कि घुसपैठ करने वाला अपने साथ स्प्रे लेकर सदन में घुसने में सफल हो सका.
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