सतना: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए विशेष रूप से सतना जिले (Satna district) के जनपद पंचायत उचेहरा (District Panchayat Uchehra) की ग्राम पंचायत रमपुरवा धाम आश्रम (Rampurva Dham Ashram) में विशाल 108 कुंडीय लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन शिवरात्रि के 7 दिन पहले से किया जाएगा. जहां पर अग्नि के रूप में शतप्रतिशत गोकाष्ठ का उपयोग किया जाएगा.
गौरतलब है कि अभी तक हम यह सुनते और देखते आए हैं कि हवन में आम, पीपल, बरगद, पलाश की लकड़ी का उपयोग अग्नि के रूप में हवन कुंड में किया जाता है, लेकिन हम एक ऐसे महायज्ञ की चर्चा कर रहे हैं, जहां पर गोकाष्ठ का उपयोग करते हुए 108 कुंडीय लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा और इस यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए संदेश दिया जाएगा.
दुनिया में कई तरह के यज्ञ होते हैं लेकिन लकड़ी का उपयोग किया जाता है. जिसके चलते पर्यावरण को काफी नुकसान होता है और लकड़ी की कटाई भी बेतहाशा हो जाती है. जिसके चलते जंगल वीरानगी की ओर चले जाते हैं. लेकिन इन सब बातों का ख्याल रखते हुए शिवरात्रि के समय 108 कुंडीय लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन ललितांबा पीठ रमपुरवा धाम आश्रम में किया जाएगा. जिसके लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गयी है. यह देश नहीं विश्व का पहला यज्ञ होगा, जहां पर गोकाष्ट के माध्यम से हवन इत्यादि का कार्य किया जाएगा.
गौरतलब है कि प्राचीन काल से ही गाय भारत की अर्थव्यवस्था आधार रही है. इसलिए गाय को माता कहा गया है. गौकाष्ट गाय से प्राप्त होने वाली चीजों को कहा जाता है. जैसे गौ-मूत्र, गोबर, दूध. पर्यावरण को अच्छा रखने के लिए आज कल दाह संस्कार में लकड़ी के स्थान पर गोकाष्ठ का उपयोग भी होने लगा है. इसी के साथ गौशाला की आमदनी में भी काफी बढ़ोतरी भी हुई है.
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