नई दिल्ली: 1972 ओलंपिक (1972 Olympics) का आयोजन जर्मनी की म्यूनिख शहर (Munich city in Germany) में हुआ था. दुनियाभर के कई देशों के खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेने आए थे, इसमें इजरायल (Israel) भी शामिल था. लेकिन इस ओलंपिक में ऐसा कत्लेआम देखने को मिला था, जिसने पूरी दुनिया का दहलाकर रख दिया था. दरअसल, इस ओलंपिक के दौरान फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन ब्लैक सितंबर के आठ सदस्यों ने हमला किया था. जिसमें इजरायल के 11 खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई थी.
साल 1972 में यह 5 सितंबर की तारीख थी, जब किसी को पता तक नहीं था कि इजरायल की टीम खेल के इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय के रूप में दर्ज होने जा रही थी. 5 सितंबर की सुबह ब्लैक सितंबर नाम के फिलिस्तीनी संगठन के 8 आतंकवादी खेल गांव में घुसे गए थे. ट्रैकसूट पहने खिलाड़ियों के अंदाज में वे उस इमारत में दाखिल हुए जहां इजरायली दल को ठहराया गया था. हॉस्टल में दाखिल होते ही हथियारों से लैस आतंकियों ने सभी कमरों की तलाशी लेते हुए इजरायल के सभी 11 खिलाड़ियों को बंधक बना लिया था.
इस दौरान इजरायल की रेसलिंग टीम के कोच मोसे वेनबर्ग ने किचन से चाकू उठाकर आतंकियों का मुकाबला करना चाहा मगर उन्हें गोली मार दी गई. कुछ ही घंटों बाद पूरी दुनिया में यह खबर फैल गई कि फिलिस्तीनी आतंकियों ने इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया है. फिलिस्तीनी आतंकियों की मांग थी कि इजरायल अपनी जेलों में बंद 234 फिलिस्तीनियों को रिहा करे. आतंकियों ने सबसे पहले दो खिलाड़ियों की हत्या की ताकी इजरायल डर जाए. लेकिन इजरायल झुकने तो तैयार नहीं था.
इसके बाद आतंकियों ने एक बस का इस्तेमाल किया और बंधक बनाए सभी खिलाड़ियों को एयरपोर्ट ले गए. एयरपोर्ट पर पहले से ही शॉर्प शूटर मौजूद थे. लेकिन एयरपोर्ट पर जैसे ही शॉर्प शूटर्स ने आतंकियों को निशाना बना तो आतंकियों ने बाकी सभी इजरायली खिलाड़ियों को गोली मार दी थी और शॉर्प शूटर ने भी सभी आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. बता दें, आतंकी हमले के बाद खेलों को रोक दिया था और फिर 34 घंटों के बाद फिर से खेलों की शुरुआत हुई और 11 सितंबर को ओलंपिक का समापन हुआ.
इस घटना के बाद ही इजरायल ने बदले की प्लानिंग शुरू कर दी थी. इजरायल इस हमले में शामिल सभी आतंकियों को मारना चाहता था और उसने ऐसा ही किया. सबसे पहले इस हमले को अंजाम देने वाले 11 ऐसे लोगों की लिस्ट सामने आई, जो दूसरे देशों में छिप गए थे. फिर इजरायल की एजेंसी मोसाद ने रैथ ऑफ गॉड के नाम का मिशन शुरू किया. इसके बाद मोसाद ने एक-एक कर सभी आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. मोसाद ने लगभग 20 साल तक म्यूनिख हमले से जुड़े आतंकवादियों को चुन-चुनकर मारा था.
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