नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का आयोजन ECOSOC के अध्यक्ष ने किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को समान अधिकार मिलने चाहिए और संयुक्त राष्ट्र इसके लिए प्रतिबद्ध है। अध्यक्ष राए ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वो दुनिया में परिवर्तन करने के लिए एक ठोस आवाज़ बनें। इस वर्ष की थीम है – ‘भविष्य के लिए लड़कियों की भविष्यदृष्टि’, इसमें दुनिया भर में लड़कियों की आवाज़ों को तत्काल महत्व देने की अपील की गई है।
यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा है कि दुनिया भर में लगभग 1.1 अरब लड़कियों की सम्भावनाएं अपार हैं, लेकिन हम जैसे-जैसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की समय सीमा 2030 के नज़दीक पहुँच रहे हैं, तो दुनिया लड़कियों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही है। लड़कियों की आज की पीढ़ी, जलवायु, युद्धों व टकरावों और निर्धनता जैसे वैश्विक संकटों से अनुपात से कहीं ज़्यादा प्रभावित है। इन संकटों ने उनकी जिंदगियों, उनकी पसन्द व प्राथमिकताओं के साथ-साथ उनके भविष्यों के लिए भी जोखिम उत्पन्न कर दिया है।
यूएन महिला संस्था के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 11 करोड़ 93 लाख लड़कियां, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और करीब 39 प्रतिशत युवतियां, हायर सेकेंडरी स्तर की शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं। UNESCO ने अक्टूबर के आरम्भ में कुछ आंकड़े जारी किए जिनमें दर्शाया गया कि लड़कियों की शिक्षा प्राप्ति में मौजूद इस इस खाई से होने वाला नुक़सान, वर्ष 2030 तक, 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। इस बीच, बाल विवाह भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है। बाल विवाह को रोकने के लिए अगर आज से भी शुरुआत की जाए तो भी इसे पूरी तरह ख़त्म करने में 68 वर्ष का समय लग सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग के अनुसार, वर्ष 2024 में 47 लाख बच्चों का जन्म ऐसी महिलाओं से हुआ है जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम उम्र थी। और इनमें से भी लगभग 3 लाख 40 हज़ार बच्चे ऐसी माताओं से जन्म जिनकी आयु 15 वर्ष से कम थी। यूएन प्रमुख गुटेरस ने कहा है, ‘लड़कियों के पास पहले से ही एक ऐसी भविष्यदृष्टि मौजूद है जिसमें वो ख़ुशहाल रह सकती हों। उन्हें इस समय जरूरत इस बात की है कि उनकी आवाजों को सुना जाए और उनकी महत्वाकांक्षाओं को समर्थन दिया जाए।’
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