नई दिल्ली। इस्लामिक चरमपंथी संगठन (Islamic extremist organization) तालिबान (Taliban) का अब अफगानिस्तान (Afghanistan) पर शासन कायम हो चुका है. संगठन किसी भी दिन अपनी सरकार के प्रारूप की घोषणा कर सकता है. वैश्विक रूप से इस वक्त तालिबान चर्चा का विषय बना हुआ. कई देश उसे मान्यता देने की तरफ अग्रसर हैं तो कई देश अभी हिचकिचा रहे हैं. लेकिन तालिबान इकलौता संगठन नहीं है जो अफगानिस्तान की धरती पर फलफूल रहा है।
इस वक्त अफगानिस्तान में कई ऐसे संगठन है जिन्हें अब तालिबान के आने के बाद प्रश्रय मिल सकता है. यानी ये खूंखार संसठन अपनी मौजूदगी और ताकतवर बना सकते हैं. इन संगठनों के नाम हैं- अलकायदा कोर, अल कायदा इन इंडियन सब कॉन्टिनेंट (AQIS), इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रोविंस (ISKP), हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), इस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान (IUM)।
तालिबान से इन आतंकी संगठनों को मिल सकता है प्रश्रय
इन सभी आतंकी संगठनों के साथ तालिबान के मजबूत संबंध हैं, इस वजह से माना रहा है कि निकट भविष्य में इनकी सक्रियता बढे़गी. अगर इन संगठनों की सक्रियता बढ़ती तो है न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि उसके आस-पास के देशों में अस्थिरता अपने पैर पसार सकती है. संभव है कि भविष्य में तालिबान ही इन संगठनों के लिए फंड मुहैया करवाए. हालांकि खुद तालिबान पर आर्थिक प्रतिबंध तेज हो गए हैं।
अमेरिका ने अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया गया था
तालिबान और अन्य आतंकी संगठन पैसों का गलत इस्तेमाल न कर सकें इसके लिए अमेरिका के बैंकों में मौजूद अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया गया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने बीते सप्ताह यह फैसला किया था. प्रशासन ने यह फैसला अमेरिकी संस्थाओं में रखे करोड़ों डॉलर तक तालिबान की पहुंच पर रोक लगाने के लिए लिया।
यह फैसला ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट एल येलन और ऑफिर ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल के ट्रेजरी विभाग के अधिकारियों की तरफ से लिया गया. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाली करीब 460 मिलियन डालर की राशि की निकासी को रोक दिया है. आईएमएफ का कहना है कि तालिबान के आने के बाद देश में असमंजस की स्थिति है।
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