लंदन। भले ही दुनिया भर के लोग कोरना वायरस (corona virus) की उत्पत्ति के लिए चीन (China) को दोषी मान रहे हैं लेकिन लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization (WHO)) द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति (Origin of corona virus Epidemic) का पता लगाने में अभी और अध्ययन करने की जरूरत है। समूह ने कहा कि वायरस के प्रयोगशाला से लीक होने के सिद्धांत पर और अधिक विस्तृत रूप से अध्ययन किया जाना चाहिये। विशेषज्ञ समूह का यह रुख महामारी की उत्पत्ति के बारे में डब्ल्यूएचओ के प्रारंभिक मूल्यांकन से अलग है। पिछले साल डब्ल्यूएचओ इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि इस बात की ”बहुत कम आशंका” है कि कोविड-19 एक प्रयोगशाला से मनुष्यों में फैला था।
मुख्य डेटा उपलब्ध नहीं
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ समूह ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि महामारी की उत्पत्ति कैसे हुई यह समझाने के लिये मुख्य डेटा अब भी उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिकों ने कहा कि समूह सभी उचित परिकल्पनाओं के व्यापक परीक्षण को ध्यान में रखते हुए भविष्य में उपलब्ध होने वाले सभी वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपने पास रखेगा। समूह ने कहा कि चूंकि पहले भी प्रयोगशाला से बीमारियां फैलने के मामले सामने आ चुके हैं, इसलिये इस सिद्धांत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या वुहान ने फैलाया कोरोना
गौरतलब है कि गौरतलब है कि कोरोना वायरस का वर्तमान स्वरूप सबसे पहले चीन के वुहान शहर में 2019 में सामने आया था. चीन ने पहले इसे छुपाया लेकिन बाद में वायरस ने अन्य देशों में प्रवेश किया और तेजी के साथ महामारी में बदल गया. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पहली मरीज मध्य चीन के वुहान के हुआनान जंतु बाजार में काम करती थी. एक अन्य अध्ययन के मुताबिक एरिजोना विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रमुख वोरोबे ने कहा कि एक एकाउंटेंट को व्यापक रूप से कोरोना पीड़ित पहला व्यक्ति माना जाता था जिसने कहा था कि उसके पहले लक्षण 16 दिसंबर को पाए गए थे।
हालांकि बाद में 11 दिसंबर 2019 को ही एक महिला को इसका पहला मरीज बताया गया जो सीफूड मार्केट से कुछ चीजों को खरीदा था. डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ समिति ने भी बताया था कि पहला ज्ञात मामला संभवतः वही महिला है. लेकिन अब तक इसकी वह पुष्टि नहीं कर पाया है।
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