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‘राष्ट्रपति’ शब्दः नेहरू ने लगाई थी इस पर मुहर, संविधान सभा ने दी मंजूरी

July 30, 2022

नई दिल्ली। भारत (India) में दूसरी महिला राष्ट्रपति (female president) के तौर पर द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के पद संभालने के बाद पद के जेंडर न्यूट्रल शब्द (gender neutral words) रखने की बहस शुरू हो गई है। जब 28 जुलाई को लोकसभा में कांग्रेस के अधिरंजन चौधरी (Adhiranjan Chowdhury) ने मौजूदा राष्ट्रपति के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल किया तो सत्ताधारी दल के सदस्य भड़क गए. नया विवाद ही खड़ा हो गया. महिला संगठनों भी इसमें कूद पड़े।

वैसे प्रेसीडेंट शब्द का इस्तेमाल पहली बार किसी लोकतांत्रिक देश के शासक के लिए अमेरिका में शुरू हुआ था। जार्ज वाशिंगटन को पहली बार प्रेसीडेंट कहा गया. वैसे ये शब्द फ्रेंच और लेटिन शब्दों के मिले-जुले प्रभाव से बना है. इसके दो अर्थ हैं – अध्यक्षता करने वाला यानि किसी सभा या इस तरह के प्रोग्राम को चलाने वाला सर्वोच्च शख्स या फिर कमांड करने वाला. ‘कोलिंस’ डिक्शनरी के अनुसार प्रेसीडेंट शब्द का इस्तेमाल किसी देश के संदर्भ में सर्वोच्च सियासी स्थिति के लिए होता है।


फिर अमेरिका की देखा-देखी दुनिया में जहां लोकतंत्र शुरू हुआ, वहां देश में शीर्ष पद पर आसीन शख्स को प्रेसीडेंट कहा जाने लगा। ब्रिटेन में लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाए जाने के बाद भी राजा और रानी को ही प्रतीकात्मक तौर पर शीर्ष स्थिति पर माना गया तो वहां लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए इफेक्टिव राष्ट्राध्यक्ष को प्राइम मिनिस्टर कहा गया। आमतौर पर कभी ब्रिटिश राज के तहत रहे देशों में यही सिस्टम चलता है. लिहाजा कामनवेल्थ संगठन के वो देश जो क्वीन को अपना संवैधानिक प्रमुख नहीं मानते, वहां शीर्ष पद पर प्रेसीडेंट होता है। प्राइम मिनिस्टर मंत्रिमंडल का प्रमुख होता है और देश का राजकाज चलाता है।

25 जुलाई 2007 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णा ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी। वह देश की पहली महिला थीं जो इस पद पर पहुंचीं। भारत में जब प्रतिभा पाटिल पहली बार एक महिला के रूप में राष्ट्रपति बनी थीं तब भी ऐसी बहस शुरू हुई। तब उन्होंने इन बहस को ज्यादा भाव नहीं देकर ये कहा कि वह राष्ट्रपति ही कहलाना पसंद करेंगी. तब ये बहस वहीं थम गई। अब द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद ऐसी बहस फिर तूल पकड़ रही है।

राष्ट्रपत्नी शब्द पर विवाद और माफी
कांग्रेस सांसद अधिरंजन चौधरी ने हालांकि ‘राष्ट्रपत्नी’ कहने के लिए माफी मांग ली है. उन्होंने कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी लेकिन बीजेपी ने इसे तूल दे दिया है. देशभर में सियासी होहल्ला जारी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण भी इसमें कूद चुकी हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अधिरंजन चौधरी को नोटिस दे दिया है।

1948 में संविधान सभा की बैठक में प्रेसीडेट ऑफ इंडिया की जगह हिंदी शब्द तय करने के लिए काफी चर्चा हुई। इसके लिए कई तरह के शब्दों के प्रस्ताव सदस्यों की ओर से आए।

क्या राष्ट्रपति शब्द ‘जेंडर न्यूट्रल’ है
दरअसल दुनिया में 19वीं सदी से ही कुछ शब्दों को लेकर बहस शुरू गई थी। कुछ पदों या पोजिशन को लेकर बोले जाने वाले शब्दों के पीछे पुरुषवादी वर्चस्व जाहिर होता है, इसलिए इन्हें बदलकर जेंडर न्यूट्रल किया जाना चाहिए।

जब पाटिल पहली बार महिला के तौर पर राष्ट्रपति बनीं तो मान लिया गया कि ‘राष्ट्रपति’ और ‘सभापति’ जैसे पदों वाले शब्द जेंडर न्यूट्रल हैं। प्रतिभा पाटिल के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानि यूपीए से नोमिनेट होते ही कहा जाने लगा कि अगर कोई महिला राष्ट्रपति बनती है तो उसे ‘राष्ट्रमाता’ कहा जाना चाहिए, लेकिन इस पर ऐतराज हो गया।

राष्ट्रपति शब्द संवैधानिक तौर पर तय
संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि राष्ट्रपति शब्द में कुछ भी गलत नहीं है, ये संवैधानिक तौर पर तय किया गया टर्म है, इससे कोई जेंडर नहीं झलकता। जब प्रेसीडेंट को हिंदी में ट्रांसलेट करके राष्ट्रपति कहा गया, तब किसी को इस पर एतराज नहीं था. हालांकि संविधान सभा में बहस जरूर खूब हुई।

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कई साल पहले कहा था, राज्यसभा की डिप्टी चेयरपर्सन नजमा हेपतुल्ला को हमेशा उपसभापति कहा जाता रहा तो प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति महोदया कहा गया. दोनों को इस पर एतराज नहीं था. पाटिल तो खुद भी राज्यसभा की उपसभापति रहीं और उन्हें इसी तरह संबोधित भी किया जाता रहा।

एक खबर के अनुसार, जब 2007 में प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति उम्मीदवार बनीं तो बाल ठाकरे ने उनके नामांकन का समर्थन किया और अपने पार्टी के मुखपत्र सामना में एक आर्टिकल लिखा कि प्रतिभाताई को ‘राष्ट्राध्यक्ष’ कहा जाना चाहिए. मेरे विचार से ‘पति’ या ‘पत्नी’ शब्द की कोई जरूरत नहीं बल्कि इस पद को ‘राष्ट्राध्यक्ष’ ही कहा जाए।

संविधान सभा में जब पहली बार ये तय किया जाना था कि प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया को हिंदी में संवैधानिक तौर पर क्या कहा जाए, इसे लेकर जब कोई फैसला नहीं हुआ तो मामले को एक कमेटी को सौंप दिया गया। लेकिन कमेटी भी इस पर कोई एक राय नहीं बना पाई. हर किसी की राय अलग थी. आखिरकार संविधान सभा में जब ये मामला दिसंबर 1948 में फिर आया तो प्रधानमंत्री नेहरू की बात मान ली गई।(Rashtrapati Sachivalaya)

आजादी के समय कैसे लगी राष्ट्रपति शब्द पर मुहर
आजादी से पहले संविधान सभा में ‘राष्ट्रपति’ शब्द को लेकर बहस शुरू हो चुकी थी। जुलाई 1947 में राष्ट्रपति शब्द की जगह ‘राष्ट्रनेता’ या ‘राष्ट्रकर्णधार’ जैसे शब्दों का सुझाव प्रेसीडेंट के हिंदी रुपांतरण के दिया गया था। इस पर सहमति नहीं बन पाई. ये मामला एक कमेटी को सौंप दिया गया। बाद में तय हुआ कि प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया के लिए हिंदी में राष्ट्रपति शब्द का ही इस्तेमाल किया जाए।

इस बहस ने दिसंबर 1948 में फिर जोर पकड़ा. तब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इसके लिए कई भाषाओं के शब्दों को साथ करके ‘हिंद का एक प्रेसीडेंट’ को संविधान मसौदा में रखने का सुझाव दिया। अंग्रेजी के ड्राफ्ट में इसे प्रेसीडेंट ही रखा गया और हिंदी के मसौदे में ‘हिंद का एक प्रेसीडेंट’ के तौर पर निरुपित किया गया. जहां हिंद का इस्तेमाल देश और प्रेसीडेंट का प्रयोग देश के शीर्ष पद के लिए किया गया। हालांकि इस पर भी सहमति जब नहीं बनी तो हिंदी के मसौदे में इसे ‘प्रधान’ लिखा गया और उर्दू के ड्राफ्ट में ‘सरदार’।

तब संविधान सभा के सदस्य बिहार के केटी शाह ने प्रेसीडेंट को ‘द चीफ एग्जीक्यूटिव’ और ‘राष्ट्र का प्रधान’ के तौर पर रखने की बात कही. वह चाहते थे कि इसी अनुसार मसौदे में संशोधन हो जाए. इसे कुछ सदस्यों ने एकसिरे से खारिज कर दिया। आखिर में जवाहर लाल नेहरू ने ‘राष्ट्रपति’ शब्द पर मुहर लगाई और यही शब्द तय हो गया।

जेंडर न्यूट्रल के लिए क्या होती रही है बहस
दुनियाभर में 19वीं सदी से कुछ पदों और काम के बतौर इस्तेमाल होने वाले शब्दों के लिए महिलावादी संगठनों ने एतराज जाहिर कर जेंडर न्यूट्रल शब्दों के इस्तेमाल पर जोर देना शुरू कर दिया. इससे बदलाव भी हुआ. फायरमैन की जगह फायरफाइटर, चेयरमैन की जगह चेयरपर्सन, लेडी डॉक्टर की जगह केवल डॉक्टर, स्टीवर्ड की जगह फ्लाइट अटैंडेंट, बारमैन या बारमेड की जगह बारटेंडर जैसे शब्द प्रयोग में लाए जाने लगे।

कुछ और शब्दों पर बहस होती रही. उन्हें बदलकर दूसरी तरह से लिखने या बोलने का काम शुरू हुआ। मसलन – बिजनेसमैन की जगह बिजनेसपर्सन, कैमरामैन की जगह कैमरा आपरेटर, कांग्रेसमैन की जगह मेंबर ऑफ कांग्रेस।

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