कानपुर । उत्तर प्रदेश के कानपुर में (In Kanpur Uttar Pradesh) पूरा परिवार (The Whole Family) 18 महीनों (18 Months) से शव के साथ (With the Dead Body) रहकर सेवा करता रहा (Kept Srving) । पिछले साल उक्त व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, लेकिन उसका परिवार उसे कोमा में मानकर लगभग 18 महीने तक उसके शव को घर पर रखे हुए था । मृतक व्यक्ति की पहचान आयकर विभाग के एक कर्मचारी विमलेश दीक्षित के रूप में हुई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि आयकर विभाग में काम करने वाले विमलेश दीक्षित का पिछले साल अप्रैल में निधन हो गया था, लेकिन उनका परिवार उनका अंतिम संस्कार करने के लिए इच्छुक नहीं था, क्योंकि उनका मानना था कि वह कोमा में थे। उन्होंने कहा कि मुझे कानपुर के आयकर अधिकारियों ने सूचित कर अनुरोध किया था कि मामले की जांच की जाए, क्योंकि पारिवारिक पेंशन की फाइलें एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी हैं।
सीएमओ आलोक रंजन ने कहा, “शुक्रवार को जब पुलिसकर्मियों और मजिस्ट्रेट के साथ स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम रावतपुर इलाके में विमलेश दीक्षित के घर पहुंची, तो उनके परिवार के सदस्यों ने जोर देकर कहा कि वह जीवित हैं और कोमा में हैं। काफी समझाने के बाद परिवार के सदस्यों ने स्वास्थ्य टीम को शव को लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल ले जाने की अनुमति दी, जहां जांच में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।”
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतक व्यक्ति की पत्नी मानसिक रूप से अस्थिर प्रतीत होती हैं और उन्होंने हर सुबह मृतक के शरीर पर ‘गंगाजल’ छिड़का । गंगाजल उन्होंने इस उम्मीद में छिड़का कि इससे मृतक को कोमा से बाहर आने में मदद मिलेगी। वह शव के पैर छुकर ही नौकरी पर जाती थी।
सीएमओ ने कहा कि मामले को पूरी तरह से जांचने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। विमलेश दीक्षित के परिवार ने पड़ोसियों को भी बताया था कि वह कोमा में हैं। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी पत्नी मानसिक रूप से अस्थिर प्रतीत होती है। पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि परिवार के सदस्यों को अक्सर ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते देखा जाता था।
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