मास्को। यूक्रेन मुद्दे पर अगर लड़ाई भड़की, तो उसका एक परिणाम दुनिया में ऊर्जा के व्यापार की दिशा पर पड़ेगा। उस हाल में ऊर्जा सप्लाई की मुख्य दिशा यूरोप से खिसक कर एशिया का रुख कर सकती है। रूस प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम की सप्लाई का एक बड़ा स्रोत है। उसने अपनी सप्लाई की दिशा बदलने की शुरुआत कर दी है।
ऊर्जा बाजार के विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि हाल में रूस ने चीन के साथ अपने ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने के कदम उठाए हैं। उधर यूरोप ने भी प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के लिए रूस पर से अपनी निर्भरता घटाने की शुरुआत कर दी है।
कजाखस्तान के रास्ते चीन को कच्चे तेल की आपूर्ति
रूस ने 2019 में साइबेरिया पाइपलाइन के जरिए चीन को गैस देने की शुरुआत की थी। अब दोनों देशों ने साइबेरिया-2 पाइपलाइन बनाने के लिए समझौता किया है। यह पाइपलाइन मंगोलिया होते हुए चीन पहुंचेगी। बीते चार फरवरी को रूस की प्राकृतिक गैस कंपनी गैजप्रोम ने चीन की सरकारी कंपनी चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (CNPC) के साथ सुदूर-पूर्व रूट से गैस सप्लाई करने का करार किया। उसी दिन रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने सीएनपीसी के साथ दस करोड़ कच्चा तेल सप्लाई करने का करार किया। 80 बिलियन डॉलर का यह समझौता दस साल के लिए है। इसके तहत कजाखस्तान के रास्ते चीन को कच्चे तेल की आपूर्ति होगी।
पश्चिमी देशों ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो उसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान के सिस्टम स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाएगा। उस हाल में रूस के लिए तेल और गैस की सप्लाई करना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि ये सप्लाई रुक जाने से यूरोपियन यूनियन को भी मुश्किल पेश आएगी। इसे देखते हुए ईयू के सदस्य देश अब विकल्प की तलाश में है। लेकिन अब तक मिली खबरों के मुताबिक इसमें उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। तेल उत्पादक प्रमुख देशों ने कहा है कि वे सप्लाई के पहले हो चुके समझौतों से बंधे हुए हैं। इसे देखते हुए वे कोई नई आपूर्ति तुरंत शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं।
पाकिस्तान स्ट्रीम पाइपलाइन में शामिल हो सकता है रूस
विश्लेषकों ने कहा है कि स्विफ्ट सिस्टम से बाहर करने की धमकी की वजह से रूस ने अपने लिए नए विकल्प तलाश करने की अभियान को तेज कर रखा है। इस क्रम में वह चीन के पाले में और अधिक चला गया है। चीन ने स्विफ्ट के विकल्प के तौर पर क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS) की शुरुआत की है।
हालांकि अब तक इस पर ज्यादा ध्यान नहीं गया था, लेकिन मौजूदा तनाव ने इस सिस्टम को चर्चा में ला दिया है। इस बीच खबर है कि रूस अब पाकिस्तान स्ट्रीम पाइपलाइन में भी शामिल होने पर विचार कर रहा है। बताया जाता है कि ये पाइपलाइन तैयार होने पर पाकिस्तान तक गैस आपूर्ति करने का रास्ता तैयार हो जाएगा।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन अभी दुनिया में ऊर्जा का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। तेल उत्पादक कोई देश चीन का बाजार नहीं छोड़ना चाहता। इसलिए यूरोपीय देशों के तेल के नए स्रोतों की खोज तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रही है। उधर रूस ने खुद को चीन के साथ एक रणनीतिक धुरी में शामिल कर अपने तेल और गैस के लिए चीन के बाजार में गुंजाइश बढ़ा ली है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved