देर सेई जनाब…आप सबी हजऱात को नए साल की दिली मुबारकबाद। दरअसल इतवार को सूरमा की छुट्टी रहती है। लिहाज़ा अपन्ने बी खां नए साल की इब्तिदा शहर की वादियों में सेहर-ओ-तफरीह के सांथ करी। अपन क्या गोया के पूरा का पूरा अहले भोपाल ही सड़क पे इंजॉय कर रिया था। नए साल के मौके पे भोपाली मय अहलो अयाल (सपरिवार) तफरीह को निकलते हैं। वन विहार से लेके, केरवा डैम तलक और वीआईपी रोड से लेके मनुआभान के टेकरी तलक पब्लिक ही पब्लिक नुमायां हो रई थी। केते हैं नए साल के इस्तवबाल की ये रिवायत नवाबी दौर से चली आ रई हेगी। तब लोग दिन भर के लिए चिकलोद, सतकुंडा, बोट कलब, भदभदा, चिडिय़ाटोल, गड़रिया नाला, रायसेन की दरगाह शरीफ और अतराफ़ के जगलों में गोट (पिकनिक) को जाया करते थे। सेकंड वल्र्ड वार के ज़माने की फोर्ड जीपों में लद के लोग निकलते और पिकनिक स्पॉटों पेई खाने बनाये जाते। पचास साठ बरस पेले तलक थर्टी फस्र्ट नाईट मनाने का इत्ता चलन नईं था।
बहरहाल, तबसे लेके आज तलक बड़े तालाब से भोत पानी बह चुका है। ज़माने ने करवट ले ली है। हर इंसान अपने तलक ही महदूद हो गया है। नए साल की मुबारकबाद भी अब सोशल मीडिया में देके बात ख़तम हो जाती हेगी। बाकी साब साल के दूसरे दिन आज पीर की सुबा शहर ने कोहरे की झीनी चादर से अपना चेहरा ढंक लिया। मौसम की इस हसीन कैफियत को देख के यूं लगा जैसे हेडिंग में लिखा गया केसरुल जाफरी साब का ये शेर भोपाल के लिए ही लिखा गया हो। कोहरे में खुद को छुपाए भोपाल की ये अदा किस क़दर खूबसूरत लगी के बस…। शिमला हिल से बड़े तालाब को जैसे कोहरा ने गायब ही कर दिया था। शिमला हिल का नाम भी शायद इसी लिए शिमला हिल रखा गया होगा कि यहां से भोपाल किसी हिल स्टेशन जैसा नजऱ आता है। आज सुबा लोग मांर्निंग वॉक के लिए केरवा रोड, बोट कलब और कलियासोत किनारे से गुजऱे तो जैसे कोहरे के जादू में खो गए। भोपाल के चप्पे चप्पे पे कोहरे ने अपनी छाप छोड़ दी थी। सर्द मौसम की ये अदा निहायत रूमानियत से भरपूर नजऱ आई। बाकी भाई मियां इस साल 2023 में आप वो सब पाएं जिसकी तमन्ना आपने करी है। कुछ ऐसे वादे बी कर लें जिससे हमारा शहर और बी खूबसूरत और साफ नजर आए। एक बार फिर से आप सबों को नए साल की बहुत मुबारकबाद।