उज्जैन। कोरोना के कारण पिछले साल महाकालेश्वर मंदिर में कावड़ यात्रियों को गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल का अभिषेक करने की अनुमति नहीं दी गई थी। गर्भगृह के बाहर इसके लिए जलपात्र लगाया गया था। इस बार भी संभवत: वही व्यवस्था होगी। 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। कावड़ यात्रियों की प्रदेश से लेकर जलाभिषेक व्यवस्था को लेकर फैसला अब मंदिर समिति की बैठक में हो सकेगा।
कोरोना के कारण पिछले साल 100 दिन का लॉकडाउन लगा था। इस साल भी 52 दिन यही स्थिति रही थी। हालांकि महाकाल मंदिर में 28 जून से आम भक्तों का प्रवेश शर्तों के साथ शुरू हो गया था। अभी भी केवल उन्हीं श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जा रही है जो ऑनलाइन बुकिंग करा रहे हैं तथा वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट या कोरोना की 24 घंटे पहले की नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट प्रवेश द्वार पर दिखा रहे हैं। मंदिर के गर्भग्रह और सभा मण्डप में किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इधर पंचांग के अनुसार 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है। सावन मास में भगवान महाकाल की आराधना का विशेष महत्व रहता है। हर साल सावन महीने में कोरोना से पहले लाखों श्रद्धालु और कावड़ यात्री भगवान महाकाल के दर्शन करने तथा सावन-भादौ मास में निकलने वाली प्रत्येक सोमवार सवारियों में शामिल होते रहे हैं। परंतु पिछले साल से कोरोना महामारी आने के कारण ऐसे आयोजनों पर प्रतिबंध लगे हुए है। इधर महाकाल मंदिर समिति ने 25 जुलाई से शुरू होने जा रहे सावन मास की तैयारियां शुरू कर दी है। इसमें अभी यह तय नहीं हो पाया है कि कावड़ यात्रियों को महाकाल का जलाभिषेक करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश दिया जाएगा या नहीं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी सावन के महीने में कावड़ यात्रियों को कोरोना गाईड लाइन के मुताबिक महाकाल में दर्शन की अनुमति दी गई थी, लेकिन किसी भी कावड़ यात्री को गर्भगृह में जाकर भगवान का जलाभिषेक करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके लिए सभा मण्डप में जल पात्र लगाया गया था। इसी में कावड़ यात्री जल डालकर भगवान का जलाभिषेक कर गए थे। इस बारे में महाकालेश्वर मंदिर समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल ने चर्चा में बताया कि मंदिर में सावन मास की तैयारियां शुरू हो गई है, लेकिन कावड़ यात्रियों को किस तरह, कितनी संख्या में प्रवेश दिया जाएगा? गर्भगृह में जाकर अभिषेक की अनुमति दी जाए या नहीं? इस पर फैसला आगामी दिनों में समिति की बैठक में ही हो पाएगा। हालांकि आम श्रद्धालुओं की तरह कावड़ यात्रियों को भी दर्शन के लिए ऑनलाइन अनुमति जारी की जाएगी।
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