इंदौर। मध्यप्रदेश के बचे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची आज जारी कर दी जाएगी। इस सूची में कुछ वरिष्ठ नेताओं के नाम भी हैं। पहले ये नेता चुनाव लडऩे के लिए मना कर रहे थे, लेकिन आलाकमान के सामने उन्हें हां भरना पड़ी। हालांकि कमलनाथ का नाम कहीं से भी लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए सामने नहीं आया है। वे विधायक ही रहेंगे। कमलनाथ ने इसलिए भी कहीं से दावा नहीं किया कि इस बार भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है और किसी भी हालत में वह इस सीट को जीतना चाहती है। अगर वह यह सीट जीत लेती है तो मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों से कांग्रेस मुक्त हो जाएगी। इसके लिए ऑपरेशन लोटस भी चलाया जा रहा है और इसी के चलते कमलनाथ के कई करीबी नेता भाजपा में आ चुके हैं। दिग्विजयसिंह की बात करें तो पहले वे चुनाव लडऩे से बच रहे थे।
पिछली बार साध्वी प्रज्ञा के सामने भोपाल में हारे दिग्विजयसिंह वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और वे इसका हवाला देते हुए चुनाव लडऩे से मना कर चुके थे, लेकिन कल उनके नाम पर राजगढ़ लोकसभा सीट से सहमति बन गई। कांग्रेस के पास कोई बड़ा आदिवासी नेता नहीं होने के कारण रतलाम-झाबुआ सीट से एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को टिकट दिए जाने की संभावना बढ़ गई है। उनका नाम भी लगभग फाइनल ही है। मंदसौर से भी दिलीप गुर्जर जैसे नेता का नाम सामने आ रहा है। वहीं गुना सीट से अरुण यादव चुनाव लड़ेंगे। वैसे यादव ने खुद ही गुना सीट से लडऩे की मंशा जताई है। कुल मिलाकर आज तय हो जाएगा कि बची हुई 18 सीटों पर कांग्रेस की ओर से कौन लड़ेगा। बताया जा रहा है कि दिग्गी जैसे नेता पहले चुनाव लडऩे के पक्ष में नहीं थे, लेकिन आलाकमान ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें चुनाव लडऩा पड़ेगा। इसके बाद दिग्गी को हां करना पड़ी। वैसे जीतू पटवारी और उमंग सिंघार जैसे नेताओं ने भी चुनाव लडऩे से मना कर दिया था। दोनों ने अपनी वर्तमान जवाबदारी का हवाला दिया, जिससे कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इन दोनों को प्रत्याशी नहीं बनाया।
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