नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने के लिए दुनिया की कई प्रयोगशालाओं में शोध चल रहा है, हालांकि वैक्सीन तो लोगों को लगने लगी है। इसके बाद भी अगर कोई व्यक्ति टीका लगने के बाद संक्रमित से संपर्क में आता है तो इससे कैसे बचाव हो इस पर भी कई वैज्ञानिक लगे हुए हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि भारत में जल्द ही अमेरिकी के मैरीलैंड स्थित फॉर्मा कंपनी नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन एनवीएक्स-सीओवी2373 का इस्तेमाल भी जल्द शुरू हो सकता है। नोवावैक्स के वैज्ञानिकों के अनुसार नोवावैक्स का टीका लगने के बाद व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है तो उसके भीतर बनी एंटीबॉडीज वायरस के स्पाइक प्रोटीन को लॉक कर देंगी और वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाएगा और व्यक्ति संक्रमित होने से बच जाएगा।
नोवावैक्स का टीका सिर्फ एंटीबॉडीज नहीं बनाता है। टीका संक्रमित कोशिकाओं को भी मारता है जिससे वायरस शरीर में फैल नहीं पाता है। टीके की इस विशेषता से अनुमान लगाया जा रहा है कि दोबारा संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति में जाने का भी खतरा काफी कम हो जाएगा।नोवावैक्स वैक्सीन को तैयार करने के लिए नैनो पार्टिकल टेक्नोलॉजी के तहत कोरोना वायारस के जेनेटिक सीक्वेंस का इस्तेमाल किया है।
वैज्ञानिकों ने कोरोना का मॉडिफाइड स्पाइक जीन तैयार करने के बाद उस जीन को बैकुलो नामक वायरस में इंजेक्ट कर दिया और संक्रमण करने के लिए छोड़ दिया। बैकुलो वायरस की कोशिकाएं जब संक्रमित हुईं तो उसने कोरोना वायरस की तरह स्पाइक प्रोटीन बनाना शुरू किया।
एनवीएक्स-सीओवी2373 टीका तैयार करने के लिए बैकुलो वायरस की कोशिकाओं में तैयार स्पाइक प्रोटीन को निकाला और नैनो पार्टिकल के रूप में तैयार किया। नैनो पार्टिकल के अणु की संरचना कोरोना जैसी होती है लेकिन वो शरीर में अपनी संख्या नहीं बढ़ा सकता है और न ही इससे कोरोना संक्रमण का खतरा है।
वैज्ञानिकों के अनुसार नोवावैक्स का टीका भी अन्य टीकों की तरह हाथ में ही लगेगा। इसमें स्पाइक नैनो पार्टिकल के साथ सोपबार्क के पौधे से लिए गए एक्सट्रैक्ट का मिश्रण होगा। इंजेक्शन लगने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र कोशिकाएं नैनो पार्टिकल को पहचान कर काम शुरू कर देंगी। रोग प्रतिरोधक तंत्र जिसे एंटीजन भी कहते हैं वो कोशिकाओं को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करने में जुट जाएगा जो वायरस से लड़ सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार नोवावैक्स का टीका लगने के बाद शरीर में मौजूद बी-कोशिका सक्रिय हो जाती है। इसके बाद हेल्पर कोशिका जिसे टी-सेल्स कहते हैं वो भी बी-सेल्स को सक्रिय करने का काम करती है। शरीर जैसे ही कोरोना वायरस के संपर्क में आएगा वो कोरोना के स्पाइक प्रोटीन जैसी ही एंटीबॉडीज बनाना शुरू कर देगा। शरीर में जैसे ही एंटीबॉडीज बनना शुरू होंगी वायरस कमजोर पड़ जाएगा और निष्क्रिय हो जाएगा।
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