आगर मालवा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जो स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई है उसका आगर शहर में धरातल पर कोई पालन होता नजर नहीं आ रहा है। यहां शहर में चारों तरफ कचरे का ढेर लगा हुआ है, वहीं नगरपालिका भी शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठा रही है। शहर में पॉलीथिन का उपयोग भी इन दिनों धड़ल्ले से हो रहा है, ज्यादातर जगहों पर गायों को कचरे के ढेर में भोजन की तलाश में पॉलीथिन खाते हुए देखा जाना आम बात हो गई हैं लेकिन अवैध रूप से शहर में बिक रही पॉलिथीन पर भी नगरपालिका अंकुश लगाने में असफल साबित हो रही है। शहर के लोग भी अपने शहर को गंदा करने में कोई कसर नही छोड़ रहे है, शहर के प्रमुख चैराहों पर बड़े-बड़े कचरों के ढेर लगे हुए है, हर रोज सुबह नगरपालिका का कचरा वाहन डोर-टू-डोर जाकर कचरा एकत्रित करता है लेकिन इसके बावजूद प्रमुख चैराहों पर कचरे का ढेर लगा हुआ है। नगरपालिका द्वारा भी कई दिनों तक खाली जगहों पर पड़े कचरे के ढेर को साफ नही कराया जाता ऐसे में शहर की स्वच्छता पर दाग लग रहे है।
शहर के बडौद दरवाजे के पास पुराना जच्चाखाना, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, झिंगाखों क्षेत्र, रत्नसागर तालाब क्षेत्र, उज्जैन-दरवाजा के समीप व ऐसी ही अन्य शहर के प्रमुख स्थानों पर शनिवार को कचरों का ढेर लगा नजर आया और प्रत्येक स्थान पर कचरे में ढेर में से गाय पॉलिथीन का सेवन करते नजर आई लेकिन ना तो नगरपालिका कचरे की सफाई की ओर ध्यान दे रही है और ना ही शहर में बिक रही पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगाने के लिए कोई योजना तैयार की जा रही है। पर्यावरण, जल, वायु और मिट्टी को भी पॉलीथिन प्रदूषित करती है। सरकार की तरफ से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने पर रोक भी लगा दी है। वहीं समय-समय पर खानापूर्ति करने के लिए नगरपालिका द्वारा पॉलिथीन की रोकथाम के लिए अभियान चलाकर कार्रवाई भी की जाती है। लेकिन, न तो आमजन ही इस घातक पॉलीथिन से छुटकारा ले सका है और न ही दुकानदार ही निर्देशों का पालन कर रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक इसका उपयोग धड़ल्ले से जारी है। जबकि, प्रतिबंधित पॉलीथिन मिलने पर 50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है।
पॉलीथिन से पशुओं को हो रहा नुकसान
पॉलीथिन का उपयोग मनुष्य के लिए सुविधाजनक होगा लेकिन यह गायों के लिए एक बड़ा खतरा बन रही है। खासतौर पर उन गोवंशीय पशुओं के लिए जो सब्जी मंडियों के आसपास या घरों के बाहर कूड़े के ढेर में चारा तलाशते हुए पॉलीथिन को निवाला बना लेते हैं। आगर शहरी क्षेत्र और आसपास की गायों के पॉलीथिन से भरे फूले पेट आसानी से देखे जा सकते हैं। जिले में पॉलीथिन के खाने से गोवंशीय पशुओं की मौत का आंकड़ा पशुपालन विभाग के पास भी मौजूद नहीं है, लेकिन प्रतिवर्ष तीन सौ से चार सौ के मध्य गोवंश पशुओं की पॉलीथिन खाने से मौत की आशंका जताई जा रही है।
नगरपालिका में सफाई कर्मचारियों से करवाया जाता है दूसरा काम
नगरपालिका के पास करीब 150 सफाई कर्मचारी मौजूद है, लेकिन यहां ज्यादातर कर्मचारियों से नगरपालिका द्वारा अन्य कार्य कराए जाते है। नगरपालिका के पास जो वाहन मौजूद है, उन्हें चलाने के लिए अभी तक ड्राइवर की नियुक्ति नही की गई है, उन सभी वाहन चालकों के रूप में सफाई कर्मचारी ही काम कर रहे है, केवल 50-60 सफाई कर्मचारियों के भरोसे ही आगर शहर की सफाई व्यवस्था चल रही है। वही नगरपालिका के पास दो ट्रेक्टर-ट्राली सार्वजनिक जगहों पर कचरा इखट्टा करने के लिए मौजूद है, लेकिन पुराना ट्रैक्टर-ट्राली केवल पंक्चर होने के कारण ही नगरपालिका ने उसे कूड़े के रुप में परिसर में एक तरफ खड़ा कर दिया है और अब केवल एक ही ट्रैक्टर-ट्राली से कचरा एकत्रित करने का कार्य किया जा रहा है और समय पर सार्वजनिक स्थानों पर कचरा इखट्टा नही होने का यह एक मुख्य कारण है।
इनका कहना
कर्मचारियों को निर्देशित कर शहर में जहां भी कचरे का ढ़ेर लगा हुआ है उसे अतिशीघ्र साफ करवाया जाएगा, वही पॉलीथिन की रोकथाम के लिए अभियान चलाकर जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही शासन की ओर से नगरपालिका में वाहन चालकों की जब नियुक्ति की जाएगी तब ही हम वाहन चलाने वाले सफाई कमर्चारियों को पुन: सफाई के कार्य में लगा पाएंगे।
2 बसंत डुलगज (स्वच्छता निरीक्षक नपा, आगर)
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