- महाशिवरात्रि और नागपंचमी जैसे बड़े त्योहारों पर भीड़ प्रबंधन में होगी मददगार-तीन माह और लगेंगे निर्माण में
उज्जैन। महाकाल मंदिर में जो टनल वर्तमान में बन रही है वैसी गुफा देश के किसी मंदिर में नहीं हैं और पहली ऐसी टनल होगी जो किसी मंदिर में बन रही है। पूर्व में महाकाल मंदिर के अंदर जाने के लिए काले पत्थर जैसा गुफानुमा रास्ता ही था।
दरअसल, महाशिवरात्रि और नागपंचमी जैसे बड़े त्यौहारों पर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या ढाई से तीन लाख तक पहुँच जाती है और दर्शन व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। इसे देखते हुए मंदिर में भूमिगत टनल बनाई जा रही है जो मंदिर के पीछे से खुलेगी और दर्शन के बाद दूसरी तरफ से भक्तों की भीड़ को मंदिर के बाहर निकालेगी। उल्लेखनीय है कि महाकाल लोक बनाने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन 50 हजार से एक लाख लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं। त्यौहारों के समय यह संख्या ढाई से तीन लाख तक पहुँच जाती है। ऐसे में दर्शन व्यवस्था गड़बड़ा जाती है और मंदिर प्रशासन के लिए भीड़ प्रबंधन एक चुनौती बन जाता है। इसे देखते हुए मंदिर में भूमिगत टनल बनाई जा रही है, जो सीधे गर्भगृह के दाई तरफ खुलेगी। त्यौहार और सिंहस्थ के समय इस टनल से भक्त दर्शन के लिए आ सकेंगे। जाहिर है कि टनल के माध्यम से महाकाल के दर्शन की व्यवस्था सुगम हो जाएगी और आसानी से रोजाना लाखों लोग मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भगवान महाकाल के दरबार को और भव्य रूप देने का काम लगातार चल रहा है। भीड़ प्रबंधन के लिए टनल भी आकार लेने लगी है। हमने मंदिर में भविष्य की जरुरतों को देखते हुए प्लान तैयार किए हैं। महाकाल लोक में पार्किंग की क्षमता बढ़ाई है और त्रिवेणी गेट से भक्तों की एंट्री को सुगम किया है। रुद्र सागर में एक ब्रिज भी बनाया जा रहा है, अनुभूति वन और तपोवन का निर्माण भी किया गया है। इसके अलावा एक पुराने स्कूल को हेरिटेज होटल में बदला गया है, वहीं आने वाले कुछ महीनों में मंदिर को देश की पहली अंडरग्राउंड टनल भी मिल जाएगी। अंडरग्राउंड टनल को जल्द ही पूरा करने का लक्ष्य है। वर्तमान में मानसरोवर से होकर श्रद्धालु पुरानी टनल से होकर मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे हैं। जल्द ही इस पुरानी टनल को मंदिर के सामने वाले हिस्से में बन रही नई टनल से जोड़ा जाएगा। यहाँ से मिलाने के बाद मंदिर परिसर में दर्शनार्थी आसानी से दर्शन कर सकेंगे।