बीजिंग (Beijing)। दुनिया के सामने चीन ( truth of China’s hoax) के फरेब की सच्चाई सामने आ चुकी है। एक के बाद एक अमेरिकी महाद्वीप (american continent) के आसमान में उड़ रही संदिग्ध चीजों (suspicious things flying in the sky) का निशाना बनाया जाना चीन के जासूसी गुब्बारे (china spy balloons) के शगल की पोल खोल रहा है। शनिवार को कनाडा के आसमान में उड़ रहे चीन के एक और जासूसी गुब्बारे को अमेरिकी लड़ाकू विमानों (american fighter jets) ने मार गिराया।
इस बात से चीन भले ही इनकार करता आया हो लेकिन जासूसी गुब्बारे के खेल में चीन हमेशा पुराना खिलाड़ी रहा है। ड्रैगन भारत में भी जासूसी के लिए गुब्बारे का इस्तेमाल कर चुका है। साल 1978 की बात है जब चीन ने गुब्बारे को भारत की जासूसी के लिए भेजा था।
बात साल 1978 जुलाई की है जब चीन की तरफ से भारत में भी ऐसी हरकत की गई थी। अमेरिका की फॉरेन ब्रॉडकास्ट इनफार्मेशन सर्विस (FBIS) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत में चीनी खुफिया गुब्बारे को देखे जाने के बारे में बताया गया था। भारत ने इस गुब्बारे को रंगा गांव के करीब मार गिराया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक गुब्बारे के मार गिराए जाने के एक हफ्ते पहले गुब्बारे ने जासूसी के लिए रेडियो और लीफलेट गिराए थे। इन्हें इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से 50 किमी दूर पर देखा गया था।
खुफिया गुब्बारे को लेकर एक्सपोज हुआ चीन
चीन के मना करने के बावजूद अमेरिका लगातार अपनी और पड़ोसी देशों की सीमा में संदिग्ध गुब्बारों को मार गिराने का दावा कर रहा है। अमेरिका ने शनिवार को कनाडा के आसमान में उड़ रहे अज्ञात सीलिंडरनुमा आकृति वाली वस्तु को मार गिराया था। इसके एक दिन पहले यानी शुक्रवार को ऐसी ही वस्तु को अलास्का समुद्री क्षेत्र के पास मार गिराया गया था। एक हफ्ते पहले अमेरिकी सेना ने चीनी जासूसी बैलून को दक्षिण कैरोलिना के तट पर मार गिराया था। अमेरिका और चीन के रिश्ते पहले से ही खराब चल रहे थे, अब चीनी खुफिया गुब्बारे के प्रकरण से और दूरियां बढ़ गई है।
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