चुनाव समाप्त होने के बाद जीत हार के उपरांत तरह-तरह की चर्चाओं का माहौल प्रारंभ हो चुका है इसी कड़ी में पूर्व महापौर प्रभात साहू ने डॉक्टर जामदार की हार को लेकर इशारों इशारों में नगर अध्यक्ष पर आरोप लगा दिए । जिस पर नगर अध्यक्ष जी एस ठाकुर ने भी जवाब दिया। साफ तौर पर ऐसी सोशल मीडिया की लड़ाई भाजपा संगठन में नहीं देखी गई। पूर्व महापौर स्वतंत्र रूप से नगर अध्यक्ष को हार की जिम्मेदारी के लिए तरसते रहे वहीं दूसरी तरफ जी एस ठाकुर पूर्व महापौर के वार्ड में मिली पराजय पर टिप्पणी करते नजर आए। फेसबुक पोस्ट से पूरे शहर में चुनावी हार के बाद भाजपा संगठन में खलबली मचा दी है। सच झूठ को लेकर लगातार चर्चाएं चल रही है। कहीं ना कहीं भाजपा संगठन की हार के बाद पैदा हुई रार को साफ तौर पर दिखाया है।
जबलपुर। नगर संगठन और समर्थक शहर में 44 पार्षद की जीत के लिए संगठन की पीठ थपथपा रहे थे। नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर समेत नगर उपध्यक्ष स्तर के कई पदाधिकारियों ने पार्षद की जीत पर संगठन को बधाई दी। ये सभी पोस्ट इंटरनेट मीडिया में शेयर की गई। जिसके बाद पूर्व महापौर प्रभात साहू ने भी फेसबुक वाल पर 44 पार्षदों की जीत वाले पोस्ट के बाद तंज कसते हुए लिखा कि ‘ वाह रे मीठा मीठा गप, कड़वा कड़वा थू। डा. जामदार कैसे हार गए? कौन जिम्मेदारी लेगाÓ। इस पोस्ट को भी कई भाजपा नेताओं ने समर्थन करते हुए शेयर किया। इस पोस्ट पर ही नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर ने भी उल्टा ही प्रभात साहू को उनकी चुनाव में जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए इंटरनेट मीडिया में इस तरह की पोस्ट को अमर्यादित बताया।
वहीं कई समर्थकों ने भी नगर संगठन के बदलाव को लेकर संदेश डाले। जिसके जवाब भी कई नगर पदाधिकारियों ने दिए इसमें साफ हो गया कि भाजपा में स्थानीय स्तर पर दो गुट बन चुके हैं। एक गुट नगर संगठन में बदलाव करने के लिए निकाय चुनाव की हार को सही वक्त मान रहा है। वहीं नगर संगठन संगठन अपनी साखबचाने के लिए हार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी तय करने में जुटा हुआ है। प्रभात साहू ने कहा कि 44 पार्षदों की जीत कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम है। हमें महापौर पद क्यों हारे इस पर चिंतन करना चाहिए था। मेरी पोस्ट में यही सवाल है कि जीत का श्रेय लिया जा रहा है तो हार के लिए जिम्मेदारी क्यों तय नहीं हो रही। इस मामले में नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने 44 वार्ड जीते इसका कार्य इंटरनेट मीडिया में पोस्ट डाल रहे हैं। उसमें पूर्व महापौर प्रभात साहू को सवाल उठाना नहीं चाहिए था। कोई बात है तो उसके लिए संगठन की प्रक्रिया है।
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