इंदौर। घरों में श्वान पालने के अलावा शहर में अब बिल्ली पालने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बात का खुलासा हॉस्पिटल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे पीडितों के आंकड़ों से हो रहा है। लाल अस्पताल हुकुमचंद पॉली क्लिनिक के डॉक्टर ने बताया कि उनके पास हर महीने बिल्ली के काटे हुए 60 से ज्यादा पीडि़त इलाज कराने के लिए आते हैं। इनकी संख्या हर महीने धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। पिछले महीने मई माह के 31 दिनों में आवारा श्वानों द्वारा काटे गए घायलों के अलावा 137 ऐसे पीडि़त भी एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने पहुंचे, जिन्हें बिल्ली या बन्दर ने काटा था। इसमें 60 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जो बिल्ली की बाइट या उसके पंजे मारने का शिकार बने थे। इसके अलावा 40 प्रतिशत घायल बंदरों के सताए हुए थे। डॉ आशुतोष शर्मा ने बताया कि उनके पास हॉस्पिटल में हर रोज आवारा श्वान की बाइट मतलब काटने या नोंचने से घायल लगभग 140 पीडि़त एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। इसके अलावा कई ऐसे घायल भी होते हैं, जो बन्दर, बिल्ली, घोड़े, चूहे, सूअर के शिकार होते हैं, लेकिन इनमें श्वानों के बाद सबसे ज्यादा संख्या बिल्ली से पीडि़तों की होती है।
इसलिए पालते है घर में बिल्ली
बिल्ली पालने के पीछे ऐसी मान्यता है कि जिस घर में यह रहती हैं, यदि वहां बच्चों को जन्म देती है तो इस दौरान अगर इसे पालने वाले परिवार को बिल्ली की नाल मिल जाए तो उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। इसके अलावा बिल्ली द्वारा बच्चे को जन्म देना घर के मुखिया के लिए अच्छा शगुन माना जाता है। बिल्ली के कारण घर में बुरी आत्माएं कभी प्रवेश नहीं कर सकतीं। इसके अलावा ज्यादातर घर-परिवार वाले और दुकानदार चूहों से परेशान होकर भी बिल्ली पालते हैं। जहां बिल्ली होती है, उस घर में छिपकली के अलावा बाहरी जीव-जंतु नहीं रह पाते हैं।
पिकनिक स्पॉट पर संभल कर रहें
लाल अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने वालो में आवारा श्वान, पालतू बिल्ली के बाद तीसरा नम्बर उन घायलों का आता है, जो बंदरों के हमले से घायल होते हैं। इन पीडितों में वह शामिल होते हैं, जो शहर के आसपास के पिकनिक स्पॉट या पर्यटन स्थलों पर घूमने गए होते हैं। लाल अस्पताल में हर महीने लगभग 50 ऐसे पीडि़त इलाज कराने आते हैं, जो बंदरों के हमले से घायल होते हैं।
4 हजार 359 लोगों को श्वानों ने काटा
पिछले माह मई के 31 दिनों में बिल्ली, बन्दर के अलावा 4 हजार 359 लोगों को आवारा श्वानों ने नोचा-काटा है। उनमें सबसे ज्यादा महिलाएं, बच्चे और वृद्ध शामिल हैं। डॉ शर्मा के अनुसार हर रोज लगभग 150 घायल उनके अस्पताल में एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं।
…तो एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं
आवारा श्वान ही नहीं यदि किसी को बिल्ली, बन्दर, घोड़ा, चूहा, सूअर या कोई भी जानवर, जीव-जंतु यदि काटता है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं और एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं। इसके अलावा जो लोग श्वान या बिल्ली पालते हैं, उन्हें अपने पालतू जानवरों को एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। –डॉ. आशुतोष शर्मा, लाल अस्पताल
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