इंदौर, अमित जलधारी। उज्जैन-इंदौर रेल लाइन (Ujjain-Indore Rail Line) दोहरीकरण प्रोजेक्ट (doubling project) के तहत कड़छा-बरलई सेक्शन (Kachha-Barlai section) में पिछले दिनों लिया गया स्पीड ट्रायल 120 नहीं, बल्कि 90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से लिया गया। फिलहाल पश्चिम सर्कल के मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) आरके शर्मा ने रतलाम रेल मंडल को कड़छा-बरलई सेक्शन में बिछाई गई दूसरी लाइन पर अधिकतम 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से यात्री ट्रेनें चलाने की अनुमति दी है। हालांकि अभी ट्रेनें 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से ही चलाई जा रही है। आगामी महीनों में चरणबद्ध तरीके से बचे काम पूरे कर ट्रेनों की गति बढ़ाते रहेंगे।
पहले रेल मंडल की तरफ से जानकारी दी गई थी कि कड़छा-बरलई के बीच 36.38 किमी लंबे सेक्शन में सीआरएस 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाकर स्पीड ट्रायल लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों ने बताया कि दोहरीकरण के तहत ही कुछ अधूरे काम पूरे होना हैं और मालवा क्षेत्र की मिट्टी धंसती है। इसलिए फिलहाल 90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ही ट्रायल लिया गया और यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर सीआरएस ने रेलवे को 70 किमी प्रति घंटा की गति से ट्रेन चलाने की अनुमति दी।
नई लाइन पर धीमी, पुरानी लाइन पर तेज गति से चलेंगी ट्रेनें
इंदौर-देवास-उज्जैन रेल खंड पर पहले से बिछी पुरानी लाइन पर अधिकतम 100-110 की रफ्तार से ट्रेनें चलती हैं और नई लाइन 70 किमी रफ्तार से ही ट्रेनें चलेंगी। दोहरीकरण का काम कहीं दाएं तो कहीं बाएं तरफ हुआ है। इस वजह से यात्री ट्रेनें पुरानी लाइन पर तेज रफ्तार और नई लाइन पर धीमी रफ्तार से गुजरेंगी।
काली मिट्टी के कारण सीमित रफ्तार से चलती हैं ट्रेनें
अफसरों का तर्क है कि इंदौर-उज्जैन और इंदौर-देवास-मक्सी रेल खंड पर यात्री ट्रेनों को सीमित गति में चलाना पड़ता है। इसकी एक अहम वजह मालवा क्षेत्र की काली मिट्टी (ब्लैक कॉटन सॉइल) है। यह मिट्टी पोली होती है और धंसती है। यही वजह है कि इन दोनों सेक्शनों पर बहुत तेज गति से ट्रेनें चलाने में समस्या आती है। देवास-मक्सी लाइन पर तो पहले 30-35 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलती थीं। रेलवे ने सॉइल ट्रीटमेंट और अन्य इंतजाम कर अब ट्रेनों की रफ्तार लगभग दोगुना की है, लेकिन अभी भी यह बहुत कम है।
इंदौर-देवास-उज्जैन लाइन पर ट्रेनों का दबाव 140 ‘ से ज्यादा
लगातार यात्री ट्रेनें बढऩे की वजह से इंदौर-देवास-उज्जैन रेल लाइन पर दबाव 140 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि जिस लाइन की क्षमता 100 ट्रेनों की है, उस पर 140 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। यही वजह है कि इस लाइन का दोहरीकरण जल्द पूरा होना बहुत जरूरी हो गया है। कड़छा-बरलई सेक्शन का दोहरीकरण पूरा होने के बाद 79 किलोमीटर लंबे इंदौर-उज्जैन रेल खंड का अब लगभग 28 किलोमीटर लंबा सेक्शन ही सिंगल लाइन का रह गया है, लेकिन इसका काम दिसंबर-23 से मार्च-24 तक ही पूरा हो पाएगा।
देवास-मक्सी लाइन उपेक्षित
इंदौर से देवास होते हुए सीधे मक्सी की ओर जाने वाली रेल लाइन कई साल से उपेक्षित है। इस सिंगल लाइन रेल मार्ग पर 80-90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से भी ट्रेनें नहीं चल पाती। वैसे भी इस लाइन पर गिनी-चुनी ट्रेनें ही चलाई जाती हैं, जबकि इंदौर से भोपाल या गुना तरफ जाने वाली ट्रेनों के लिए यह सीधा रास्ता है, जो करीब एक घंटे का समय बचाता है। जो ट्रेनें उज्जैन होकर भोपाल-गुना तरफ चलती हैं, उन्हें दोनों दिशाओं में इंजन की दिशा बदलना पड़ती है। इससे समय भी ज्यादा लगता है और इंजन रिवर्सल के लिए एक लाइन खाली रखना पड़ती है। देवास-मक्सी लाइन से जाने वाली ट्रेनों में यह परेशानी नहीं होती और दूरी भी घटती है।
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