इंदौर। कल जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर 600 बोरी राशन की अवैध कालाबाजारी पकड़ी। प्रशासन की इस कार्रवाई से व्यापारी तो पकड़े जाएंगे, लेकिन मूल जड़ जस की तस रहेगी। गरीबों ने चावल पकड़े जाने की खबरों पर कहा कि हम ही बेच रहे हैं। चावल से पेट नहीं भरता, बच्चे दिनभर खाना मांगते हैं।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा बीपीएल कार्डधारियों के लिए मुफ्त में जहां पांच किलो राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं पांच किलो राशन मुख्यमंत्री की योजना के तहत दिया जा रहा है। इस 10 किलो की मासिक राशन थैली में 6 किलो चावल ही मिल रहा है। अन्न उत्सव के नाम पर हर महीने की शुरुआती हफ्ते में तीन दिन कैम्प लगाकर ही राशनपर्चियों के माध्यम से यही राशन बांटा जा रहा है। जो न तो गरीबों का पेट भरने के लिए काफी है, न ही पोषण देने के लिए। अग्निबाण ने जब निचली बस्तियों की महिलाओं से चर्चा की तो सामने आया कि कंट्रोल से खरीदकर हितग्राहियों द्वारा ही दुकानों पर चावल बेचा जा रहा है। ज्ञात हो कि हाल ही में तीन मुहिम में प्रशासन ने नवलखा और मल्हारगंज क्षेत्र से 600 बोरी चावल पकड़ा है।
सरकार की नीति पर सवाल
सरकार ने गरीबों की राशन व्यवस्था में चावल की क्वांटिटी बढ़ा दी, जिसके चलते कालाबाजारी भी जोरों पर है। भागीरथपुरा निवासी भारती बाई ने बताया कि ढाई साल से लेकर 11 साल तक के मेरे चार बच्चे हैं। चावल ज्यादा खिलाने से पेट नहीं भरता और दिनभर खाना मांगते रहते हैं। रोटी के लिए सरकार गेहूं 2 किलो ही दे रही है। ऐसे में ना तो बच्चे पोषण ही पा रहे हैं, ना ही दिन की भूख मिट रही है। मालवा मिल निवासी प्रेमबाई ने बिफरते हुए कहा कि क्या मध्यप्रदेश सरकार को यह नहीं पता कि यहां की जनता का मुख्य खाद्यान्न गेहूं हैं। दिनभर मजदूरी करने के दौरान चावल ना तो ताकत देता है और न ही दिनभर की भूख मिटाता है। इसलिए हम ही चावल बेचकर गेहूं खरीद लेते हैं।
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