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कोरोना वैक्सीन को अपडेट करने का समय आ गया, WHO ने किया अलर्ट

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैक्सीन कमेटी (vaccine committee) ने सिफारिश की है कि वैक्सीन को अपडेट करने का समय आ गया है. WHO के मुताबिक अभी मौजूदा वैक्सीन इंडेक्स वायरस (index virus) यानी वायरस के सबसे पुराने स्वरूप के हिसाब से डिजाइन हैं. फिलहाल ये वैक्सीन ओमिक्रॉन (omicron) के खिलाफ सुरक्षा दे रही हैं लेकिन जिस तरह से वायरस म्यूटेट हो रहा है, उसे देखते हुए बदलाव का समय आ चुका है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि समय के साथ-साथ पुरानी वैक्सीन अपनी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रही है. इसीलिए वैक्सीन कंपनियों को अपनी वैक्सीन को नए वायरस के मुताबिक बदलकर अपडेट करना चाहिए. WHO ने खास तौर पर इस बात पर जोर दिया है कि बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए Bivalent Vaccine ही इस्तेमाल करनी चाहिए. बाइवेलेंट यानी वो वैक्सीन जो इंडेक्स वायरस और BA.1, BA.4 और 5 वायरस के हिसाब से बनाई गई हैं.

WHO के मुताबिक mRNA तकनीक पर आधारित ऐसी वैक्सीन जो BA.1, BA.4 और 5 के हिसाब से डिजाइन हैं, वो मौजूदा हालात में बेहतर काम कर पा रही हैं. दरअसल, Messanger RNA या mRNA तकनीक में वैक्सीन को अपडेट करना संभव होता है. मैक्स अस्पताल दिल्ली के मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्दिराजा का कहना है कि 17 मार्च को विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) के Technical Advisory Group on COVID-19 Vaccine Composition (TAG-CO-VAC) की अहम मीटिंग हुई. इस मीटिंग में राय ये बनी है कि हालांकि सभी मौजूदा वैक्सीन फिलहाल बेहतर काम कर रही हैं और बीमारी को गंभीर होने से रोकने में कामयाब हैं लेकिन अगर केवल हल्के लक्षणों वाले कोरोनावायरस से सुरक्षा की बात की जाए तो mRNA तकनीक आधारित Bivalent Vaccine बेहतर सुरक्षा दे पाएगी.


WHO के मुताबिक स्टडी में पाया गया है कि ऐसी बाइवेलेंट वैक्सीन जो वायरस BA.1, BA.4 और 5 के खिलाफ बनाई गई है वो ओमिक्रॉन के वेरिएंट BQ.1 और XBB.1 पर बेहतर काम कर रही हैं, जबकि कुछ mRNA वाली बाइवेलेंट वैक्सीन केवल BA.1 पर आधारित हैं वो उतना अच्छा काम नहीं कर रही हैं. मई में इस कमेटी की अगली मीटिंग होगी जिसमें ये देखा जाएगा कि क्या आगे कोरोना के खिलाफ नई वैक्सीन बनाने के लिए इंडेक्स वायरस वैक्सीन यानी बुनियादी वैक्सीन की जरुरत है भी या नहीं. हालांकि, कमेटी का सुझाव ये भी है कि म्यूकोजल इम्युनिटी यानी श्वास नली की प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए वैक्सीन विकसित की जानी चाहिए जो कोरोना समेत कई वायरल इंफेक्शन से सुरक्षा दे सके.

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