इंदौर। निगम के ईमानदार करदाता इन दिनों परेशान हो रहे हैं। ई-पोर्टल में हुई तकनीकी खराबी के चलते गत वर्ष जो नए खाते खुलवाए उनके साथ-साथ अन्य ऑनलाइन डाटा भी गायब हो गया, तो दूसरी तरफ निगम ने आतंक मचाते हुए जबरिया वसूली शुरू कर दी और जिन दुकानों का सम्पत्तिकर जमा है उन्हें भी सील करने पहुंच गए। निगम का खुद का कहना है कि गत वर्ष जो 17-18 हजार सम्पत्ति कर के नए खाते खोले थे उनका डाटा पूरी तरह से गायब हो गया है और अब करदाताओं को रसीदें लेकर झोनल और निगम मुख्यालय में चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। अभी तक निगम 67 हजार खातों को इन रसीदों के आधार पर अपडेट भी कर चुका है। मगर जिन लोगों के पास रसीदें नहीं हैं मगर उन्होंने ऑनलाइन कर जमा किया है वे भी परेशान हो रहे हैं। अब निगम का कहना है कि चालू वित्त वर्ष का सम्पत्तिकर जमा कर दें और पिछले वर्ष के रिकॉर्ड जब मिल जाएंगे या करदाता ऑनलाइन जमा की गई राशि का स्टेटमेंट दे देगा तो उसे रिकॉर्ड में दर्ज कर लेंगे।
एक तरफ नगर निगम में रोजाना करोड़ों रुपए के घोटाले उजागर हो रहे हैं और बिना काम के ही करोड़ों के भुगतान कर डाले, तो दूसरी तरफ ईमानदार करदाता सम्पत्ति कर जमा कराने को लेकर परेशान हो रहे हैं। दरअसल, हर साल लगभग 2 लाख करदाता ऐसे हैं जो 30 जून के पहले अग्रिम कर जमा कर देते हैं, जिसको लेकर नगर निगम भी अभियान चलाता है और लॉटरी निकालकर इन अग्रिम करदाताओं को कार से लेकर अन्य महंगे उपकार भी बांटता है। वही निगम अब इन करदाताओं के साथ अवैध वसूली में जुटा है। उदाहरण के लिए 22, शिव विलास पैलेस की गीताबाई, भागीरथ गौर का कहना है कि उन्होंने अपनी सम्पत्ति का नियमानुसार कर जमा किया, जबकि 2023-24 तक का सम्पत्ति कर जमा किया जा चुका है और उसकी रसीदें भी मौजूद है। मगर अभी निगम ने जो नोटिस भेजा उसमें 5 लाख 50 हजार 331 रुपए का चालान भेजा और 2019-20 से लेकर अभी तक की इतनी राशि बकाया बता दी।
दूसरी तरफ 1400 स्क्वेयर फीट के हिसाब से यह चालाना भेजा, जबकि भूखंड की रजिस्ट्री मात्र 1292 स्क्वेयर फीट होकर उस पर एक हजार फिट का ही निर्माण किया गया है। इतना ही नहीं, पूरा कर जमा होने के बावजूद निगम का अमला दुकानें सील करने आ गया। इस संबंध में झोनल अधिकारी झोन क्र.3 वार्ड 58 को भी उनके द्वारा सारी जमा की गई रसीदें और अन्य विवरण उपलब्ध कराए गए। दूसरी तरफ निगम के अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा का कहना है कि जिन करदाताओं ने गत वर्ष कर जमा किया और उनके पास रसीद नहीं हैं तो वे चालू वित्त वर्ष का सम्पत्ति कर जमा कर दें और उस पर लिखवा लें कि सम्पत्ति कर का अग्रिम भुगतान किया गया है। श्री मिश्रा ने भी स्वीकार किया कि गत वर्ष सम्पत्ति कर के जो 17-18 हजार नए खाते खोले थे उनका डाटा अभी तक रीकवर नहीं हो पाया है। उसके अलावा जीआईएस सर्वे और अन्य जांच के चलते भी जो डाटा इक_ा किया था वह भी फिलहाल गायब ही है। दूसरी तरफ इन ईमानदार करदाताओं का कहना है कि निगम ने ऑनलाइन कर जमा कराने की सुविधा दी और वे हर साल अग्रिम कर जमा कर देते हैं। अब उनका वर्षों पुराना बकाया भी निकाला जा रहा है और हजारों रुपए की बकाया राशि के नोटिस आ रहे हैं। ऐसे करदाता रसीदें लेकर चक्कर काट रहे हैं और कतारों में भी खड़े हैं।
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