मुंबई: मुंबई (Mumbai) के विले पार्ले इलाके में स्थित पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर (Parshvanatha Digambar Jain Temple) के तोड़े जाने पर देश भर के जैन समाज (Jain Society) में नाराजगी है. शनिवार को मुंबई नगर निगम (Nagar Nigam) की कार्रवाई के खिलाफ जैन समुदाय ने अहिंसक रैली (Nonviolent Rally) निकाली. इस रैली में बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोगों ने भाग लिया. रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लिये हुए थे, जिन पर लिखा था, ‘मंदिर तोड़ा है, हौसला नहीं.’
समाज के लोग मंदिर के पुननिर्माण की मांग कर रहे हैं. स्थानीय सांसद और कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने भी मार्च में भाग लिया है. उन्होंने इस कार्रवाई को लेकर सरकार की आलोचना की है. जैन समाज के समर्थन में स्थानीय सर्वदलीय नेता भी उतर आए हैं. जैन समुदाय ने शनिवार सुबह 9.30 बजे विरोध प्रदर्शन शुरू किया. विरोध प्रदर्शन से पहले जैन बंधुओं ने ध्वस्त मंदिर में आरती की. फिर आंदोलन शुरू हुआ.
जैन समाज के समर्थन में उतरी कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा, “पूजा स्थलों की देखभाल करना सरकार का काम है. ऐसा होता नहीं दिख रहा है. यह कार्रवाई पहले से ही योजनाबद्ध थी. यह एक साजिश है. शांतिप्रिय जैन समुदाय को इस साजिश के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ा है.” उन्होंने कहा,” राजस्थान और मुंबई में जैन समुदाय की रैलियां हो रही हैं.?” इस रैली में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों और मंत्रियों के शामिल होने पर वर्षा गायकवाड़ ने कहा, “यही बात मुझे हैरान करती है. सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक और मंत्री रैली में शामिल होते हैं और वे ही सरकार हैं.”
जैन समुदाय के सदस्य ‘मंदिर नष्ट, कोई साहस नहीं’ लिखी तख्तियां लेकर सड़कों पर उतर आए. मंदिर उसी स्थान पर होना चाहिए, यह मांग आंदोलन के माध्यम से की गई. भाजपा नेता एवं मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा , कांग्रेस नेता एवं सांसद वर्षा गायकवाड़, विधायक पराग अलवानी और अन्य स्थानीय नेता इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे. जैन समुदाय की महिलाएं भी बड़ी संख्या में इस आंदोलन में शामिल हो गई हैं. विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही महिलाओं ने कहा है कि बीएमसी की कार्रवाई अनुचित है. समुदाय की मांग है कि नगर निगम अपने कृत्य के लिए माफी मांगे और मंदिर का पुननिर्माण कराया जाए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के विले पार्ले के नेमिनाथ कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी इलाके में 90 साल पुराना जैन मंदिर था. बीएमसी ने इस मंदिर को गिराने का नोटिस जारी किया था. जैन समुदाय इसके खिलाफ अदालत चला गया. निचली अदालत ने जैन समुदाय की याचिका खारिज कर दी, इसके बाद जैन समुदाय ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जैन समुदाय का आरोप है कि बीएमसी प्रशासन ने हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना जल्दबाजी में मंदिर को ध्वस्त कर दिया.
उच्च न्यायालय ने इस पर 16 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित की थी. जैन समाज का आरोप है कि कार्यवाही पर रोक लगाने का भी आदेश दिया गया था. इसके बाद भी नगर निगम ने यह कार्रवाई की है. आरोप है कि बुधवार को हाईकोर्ट द्वारा तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाए जाने के बाद भी मनपा के के ईस्ट वार्ड के अधिकारी नवनाथ घाडगे ने मनमाना आदेश जारी कर यह कार्रवाई की.
पुलिस सुरक्षा में जेसीबी की मदद से दिगंबर जैन मंदिर को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त कर दिया गया. इससे जैन समाज में गुस्सा है.उन्होंने जिम्मेदार नगरपालिका अधिकारी को तत्काल निलंबित करने. नगर निगम को तुरंत अपने खर्च पर एक नया मंदिर बनाने और नगर निगम को इस घटना के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी की मांग की है.
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