इंदौर। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इंडोस्कोपी सर्जरी की शुरुआत इंदौर में हो गई है। यहां डॉक्टर्स की टीम ने इंडोस्कोपी सर्जरी से 3 ऑपरेशन यानी हैट्रिक बनाने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह सर्जरी मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि मध्य भारत में पहली बार शुरू हुई है। इस सर्जरी के चलते मरीजों के लाखों रुपए और समय बचेगा। एक्लेसिया कार्डिया यानी आहार नली सिकुडऩे अथवा बन्द हो जाने सम्बंधित बीमारी से पीडि़त 3 मरीज शहर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती किए गए थे, जिनमें रतलाम का 21 वर्षीय युवक और इंदौर की 2 महिलाएं सपना 45 साल व सुनीता 40 साल शामिल थीं। यह तीनों मरीज सालों से आहार नली से सम्बंधित बीमारी से पीडि़त थे। इनमें से एक महिला की तो आहार नली की सर्जरी के लिए छाती को खोलना पड़ा था, मगर इसके बावजूद महिला मरीज को कोई फायदा नहीं हुआ। इसके इलाज के लिए निजी अस्पताल 4 से 5 लाख का खर्चा बताते रहे । आखिरकार मरीजों के परिजनों ने अपने-अपने मरीजों को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में दिखाने का फैसला किया।
यहां पर इन तीनों मरीजों का हेल्थ चेकअप और जरूरी मेडिकल जांचों के बाद गेस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अमित अग्रवाल और उनकी टीम ने बिना चेस्ट ओपन किए इंडोस्कोपी सर्जरी की। इस उपचार से निजी अस्पताल की अपेक्षा 25 से 30 प्रतिशत ही खर्चा आया। परिजनों की सहमति के बाद बारी- बारी से तीनों मरीजों की इंडोस्कोपी सर्जरी की गई। इस तकनीक से सर्जरी के दौरान मरीज को बेहोश कर उसके मुंह से इंडस्क्यूप ट्यूब डालकर आहार नली में कट लगाकर इंडोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
क्या होती है एक्लेसिया कार्डिया बीमारी
भोजन निगलने वाली आहार नली से सम्बंधित रोग है, जिसमें भोजन निगलने में कठिनाई होती है। इस बीमारी की वजह से भोजन नली में तंत्रिका संबंध खऱाब यानी नष्ट हो जाते हैं। इस वजह से भोजन आहार नली में अटक जाता है। इस कारण भोजन पेट तक नहीं पहुंच पाता है। अभी तक इस आहार नली को ठीक करने के लिए ऑपरेशन के जरिये मरीज की छाती खोलकर इलाज किया जाता था। मगर सुपर स्पेशलिटी में डॉक्टर अग्रवाल की टीम ने इस पेरोरल इंडोस्कोपिक मायोटॉमी नामक इस नई तकनीक का उपयोग करके इंडोस्कोपी सर्जरी के जरिये ऑपरेट कर दिया ।
90 मिनट में हो जाती है यह सर्जरी
मरीज को एनेस्थिसिया देने के बाद इस इंडोस्कोपी सर्जरी में लगभग 60 से 90 मिनट लगते हैं। सर्जरी के 24 घंटे बाद मरीज को दूध पिलाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद अगले दिन छुट्टी दी जा सकती है, यानी सर्जरी के बाद अगले 48 या 72 घण्टे में मरीज को वापस घर भेज दिया जाता है।
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