भारती द्विवेदी। शिष्य के मन में जो सीखने समझने की इच्छा जागृत करें वह शिक्षा कहलाता है इंसान चाहे कितना भी बड़ा एवं समृद्ध हो जाए उसे कभी ना कभी मार्गदर्शक की आवश्यकता जरूर पड़ती है और वह आपका मार्गदर्शक है सही अर्थ में आपका शिक्षक या गुरु है।
विश्व के अधिकांश सब राष्ट्रों में अपने राष्ट्र निर्माता शिक्षकों के सम्मान एवं आभार प्रकट करने के लिए शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है । भारत में यह 5 सितंबर यानी कि आज के दिन मनाया जाता है । यह परंपरा 1962 में डॉक्टर राधाकृष्णन (Dr. Radhakrishnan) के राष्ट्रपति बनने के साथ शुरू हुई । जब उनके राष्ट्र मित्रों एवं छात्रों ने उनका जन्म दिवस मनाने की स्वीकृति मांगी। इस पर शैक्षणिक भूमि के राधाकृष्णन ने एक सुझाव दिया कि मेरा जन्मदिन मनाने की बजाए देशभर के शिक्षकों के सम्मान समारोह के रूप में यही शिक्षक दिवस आयोजित किया जाए।
किसी भी समाज को विकसित करने के लिए आवश्यक है कि लोग शिक्षित हो और ऐसे समाज का निर्माण एक शिक्षक की कर सकता है । हमारे प्राचीन ग्रंथों (ancient texts) में गुरु को भगवान से भी बढ़कर बताया गया भक्तिकालीन संतोबा कवियों (devotional Santoba poets) ने गुरु महिमा का वर्णन किया।
कबीर लिखते हैं–
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।।
[RELPOST]
वर्तमान भूमंडलीकरण (Current globalization) के दौरे में शिक्षा की महत्ता और भी बढ़ गई है । अपने राष्ट्र के लिए बेहतरीन भविष्य की पीढ़ी उपलब्ध कराना उचित शिक्षा के माध्यम से सामाजिक समस्या भ्रष्टाचार आदि को सुलझाना आज के लिए शिक्षक की जिम्मेदारी है।
–हो सकल विश्व का सार तुम्हीं,
नवजीवन का आभार तुम्हीं ।
तुम अद्भुत प्रखर, मनोहर हो,
ज्ञानी हो ,ज्ञान सरोवर हो।
सृष्टि के युग निर्माता हो,
जन जन के भाग्य विधाता हो।
हर छात्र ह्रदय का तुम स्वर हो,
वसुधा पर तुम्हीं ईश्वर हो।
हे गुरु एक निवेदन है मेरे अंतस में तुम्ही रहना , हम दूर रहे या पास रहे, आशीष सदा देते रहना ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved