भोपाल। जंगल महकमे में आधा दर्जन आईएफएस अफसरों के खिलाफ गंभीर अनियमितता को लेकर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। एपीसीसीएफ अजय यादव और डीएफओ गौरव चौधरी के खिलाफ लोकायुक्त संगठन के सख्त रवैया के बाद भी विभाग के शीर्ष अधिकारी चहेते अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं। इस बीच सतपुड़ा मुख्यालय में एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है कि जब काम बंटवारे के आधार पर डीएफओ नरेश दौरे का निलंबन हो सकता है तो फिर ग्वालियर डीएफओ ब्रजेंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? जानकारी के अनुसार रीवा सर्किल में हुए बहुचर्चित आर्थिक अनियमितताओं को लेकर लोकायुक्त संगठन में एक दशक से सुनवाई चल रही है। इस बीच कुछ आईएफएस अफसर बड़े पदों पर प्रमोट होते हुए रिटायर्ड भी हो गए पर कोई उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई। इसी मामले में लोकायुक्त संगठन ने अब अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजय यादव के खिलाफ सख्त रवैया अपना लिया है पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त संगठन में कार्रवाई करने की हिदायत दी है।
इसके अलावा लोकायुक्त संगठन ने वर्तमान में शहडोल में पदस्थ डीएफओ गौरव चौधरी के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश दिए हैं। गौरव चौधरी जब डीएफओ सीधी के पद पर पदस्थ थे तब उनके खिलाफ ई-भुगतान, प्रमाणकों और बैंकर्स चेक मेक 88 कर आर्थिक अनियमितता करने के आरोप हैं। इसके अलावा सतना के एक एनजीओ को चेक से गलत भुगतान का मामला भी शामिल है। वर्ष 2019 से मामले की जांच लोकायुक्त संगठन कर रहा है। विभाग के द्वारा हर बार गौरव चौधरी के बचाने के लिए गोलमाल जवाब दिए जा रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि गौरव चौधरी के बचाने के लिए तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक अतुल खेरा सतना के तत्कालीन डीएफओ राजीव मिश्रा को जांच अधिकारी बनाया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में पदस्थ राजीव मिश्रा ने अपनी जांच रिपोर्ट में गौरव चौधरी को बचाने की कोशिश की है। लोकायुक्त संगठन में शिकायत होने के बाद गड़बडिय़ों की परतें खुलती नजर आ रही है। गत दिनों इसी मुद्दे पर वन बल प्रमुख आर के गुप्ता ने गंभीरता से लिया है और बैठक कर लोकायुक्त संगठन को तथ्यों के साथ वस्तु स्थिति से अवगत कराने के निर्देश भी दिए हैं।
आरोपी ही पदस्थ है विजिलेंस में
वन विभाग के शिकायत एवं सतर्कता शाखा में ऐसे आईएफएस को पदस्थ कर रखा है, जिसके खिलाफ विभाग ने ही एक करोड़ 73 लाख से अधिक की वन हानि के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उससे स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह मामला तब का है जब वे मुरैना में डीएफओ के पद पर पदस्थ थे। इसी प्रकार दक्षिण सागर में पदस्थ डीएफओ नवीन गर्ग पौधारोपण और मिट्टी खरीदी के गड़बड़ी के मामले में तत्कालीन सीसीएफ अमित दुबे ने आरोप पत्र बनाकर मुख्यालय को भेज दिया है। प्रशासन एक में मामला लालफीताशाही के हवाले कर दिया गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसी मामले में डीएफओ महेंद्र सिंह उईके को क्लीन चिट दे दी गई है।
काम के नाम पर स्थानांतरण का खेल
जंगल महकमे में सर्किल और वन मंडलों में पदस्थ 1 दर्जन से अधिक आईएफएस अफसर मैदानी कर्मचारियों के काम बंटवारे के नाम पर ट्रांसफर का खेला कर रहें हैं। 4 महीने पहले इसी आधार पर हरदा डीएफओ नरेश दोहर को निलंबित कर दिया गया था। जबकि ग्वालियर में पदस्थ डीएफओ बृजेंद्र श्रीवास्तव ने वर्ष 2021 में कार्य बंटवारे के नाम पर आधा दर्जन कर्मचारियों की नवीन पदस्थापना की है। इनके खिलाफ आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसी प्रकार प्रदेश के एक दर्जन से अधिक डीएफओ ने काम के बंटवारे के नाम पर तबादले का खेला किया है। इसके पहले बेतूल में पदस्थ रहे एपीसीसीए मोहन मीणा ने भी 100 से अधिक तबादले किए थे। विधानसभा में मामला उठने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।
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