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    राजस्थान के इस जिले के मॉडल का मुरीद हुआ सुप्रीम कोर्ट, सीनियर जजों ने खूब की तारीफ

  • December 18, 2024

    जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के राजसमंद जिले में चल रहे ‘प्रीप्लानेटरी मॉडल’ की जमकर सराहना की है. सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच को ये मॉडल इतना पसंद आया कि सुनवाई के दौरान वो इसकी तारीफ करे बिना रह नहीं सके. बेंच ने केस में फैसला देते हुए खासतौर पर कहा कि यह बहुत सराहनीय है और बेहतरीन पहल है. न्‍यायालय में बुधवार को यह सुनवाई हुई और इस पहल से बेंच बहुत खुश हुई.

    दरअसल, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की पीठ ने राजस्थान के ‘पवित्र उपवनों’ की सुरक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया. जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि राजसमंद जिले का यह मॉडल केवल पर्यावरण संरक्षण ही नहीं, बल्कि समाज में लैंगिक समानता की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

    बता दें कि राजसमंद जिले में जन्म लेने वाली हर बेटी के सम्मान में 111 पौधे लगाए जाते हैं. यह पहल गांव के सरपंच की दूरदर्शी सोच का नतीजा है, जिसने अत्यधिक खनन के कारण गांव को हुए पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए यह मॉडल शुरू किया. अब तक इस योजना के तहत लगभग 14 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं.

    जस्टिस मेहता ने कहा, “यह पहल न केवल पर्यावरणीय पुनरुद्धार की दिशा में सराहनीय है, बल्कि इससे कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में भी कमी आई है. इस मॉडल के चलते महिलाओं की आबादी अन्य लिंगों की तुलना में अधिक हो गई है.”


    सुप्रीम कोर्ट ने केस में पवित्र उपवनों की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार को कई दिशा-निर्देश जारी किए. इनमें राज्य के वन विभाग को ‘पवित्र उपवनों’ का क्लियर और डिटेल्‍ड सैटेलाइट मैपिंग करने का आदेश दिया गया. साथ ही ‘सेक्रेड ग्रूव्स’ को ‘सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र’ घोषित करने और उन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए गए.

    कोर्ट ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के एक जज की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति बनाई जाएगी, जो इस मुद्दे की निगरानी करेगी. राजस्थान के इस मॉडल ने यह साबित कर दिया है कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार एक साथ किए जा सकते हैं. इस पहल ने समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और जागरूकता को बढ़ावा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अन्य राज्यों को भी इस मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए.

    जस्टिस मेहता ने पर्यावरणीय नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अत्यधिक खनन से पवित्र उपवनों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. उन्होंने ‘पवित्र वनों’ की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस मॉडल का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन किया जाए और पवित्र उपवनों की रक्षा की जाए.

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