नई दिल्ली। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री (RIL ) से जुड़े एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (Supreme Court Central Government) को फटकार लगाई है और कहा है कि इससे आसमान नहीं गिर जाएगा।
आपको बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्री (Reliance Industries ) से जुड़े केस में रिलायंस की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Counsel) हरीश साल्वे ने CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष RIL और दो विदेशी कंपनियों की तरफ से दायर उस याचिका का उल्लेख किया, जिसमें दिसंबर और जनवरी के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को रोकने के लिए सरकार द्वारा अंतिम समय में उठाए गए कदम और रणनीति पर सवाल उठाया गया है।
इसके बाद इस क्षेत्र ने फरवरी 2020 में अपने अनुमानित अवधि से बहुत पहले ही उत्पादन करना बंद कर दिया था।
सरकार ने इस घटना के लिए कंपनी पर अनुमोदित विकास योजना का पालन नहीं करने का आरोप लगाया और 3 बिलियन डॉलर से अधिक की लागत को अस्वीकार कर दिया था। कंपनी ने इस पर आपत्ति जताई और सरकार को मध्यस्थता में घसीटा। लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में घसीट लिया है।
सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एके गांगुली ने कहा कि दोनों मध्यस्थों के खिलाफ सरकार के पक्षपातपूर्ण आरोप को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ एक अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अगर मध्यस्थता जनवरी या फरवरी के लिए पुनर्निर्धारित की जाती है तो “आसमान तो नहीं गिरेगा” लेकिन इसके बड़े पैमाने पर जनता पर गंभीर परिणाम होंगे।
इस पर CJI की पीठ ने कहा कि अगर इस तरह से सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को विफल करेगी तो आसामान गिर ही जाएगा हम रो रहे हैं कि हमें भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वाणिज्यिक विवादों के समाधान को गति देने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र के रूप में मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन यह क्या है क्या यह व्यापार उद्देश्यों के लिए विदेशी निवेशकों को भारत आने के लिए प्रोत्साहित करने का सही तरीका है?
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