नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एनडीपीएस मामले में (In NDPS Case) एक विचाराधीन कैदी को (To an Undertrial Prisoner) जमानत देते हुए (Bailing Out) मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) विक्रमजीत बनर्जी (Vikramjit Banerjee) को फटकार लगाई (Reprimanded) । भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप लोग छोटे किसानों और ड्रग्स पैडलर को पकड़ते हैं। असल गुनाहगारों को पकड़िए ।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट साबिर बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश मामले की सुनवाई चल रही थी। मामला अफीम की कथित बरामदगी के मामले में थी। कुछ साल पहले कथित तौर पर सबीर के खेत से अफीम पकड़ा गया था। इस मामले में साबिर पांच साल से जेल में बंद थे। शुक्रवार को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ सबीर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनर्जी जमानत याचिका का विरोध कर रहे थे। हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आरोपी पहले ही पांच साल जेल में बिता चुका है और इस मामले में सजा की अधिकतम अवधि दस साल थी। इसके अलावा, इस मामले में प्रतिबंधित अफीम कथित तौर पर उसके खेत से बरामद की गई थी। वह इसे ले जाते हुए नहीं पकड़े गए थे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनर्जी ने बेंच को याद दिलाया कि साबिक पर पहले के कुछ मामलों में दोषसिद्ध हो चुका है। लेकिन पीठ ने इस तर्क को नहीं माना औ कहा कि आप छोटे-छोटे ड्रग पेडलर्स को पकड़ रहे हैं, लेकिन असल अपराधियों को नहीं। उन लोगों को पकड़िए जो ड्रग सिंडिकेट चला रहे हैं। अपनी इस मौखिक टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी साबिर को जमानत दे दी।
गैर-कानूनी मादक पदार्थों के क्रय-विक्रय और सेवन के मामले में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट यानी एनडीपीएस के तहत कार्रवाई का प्रावधना है। यह एक्ट दो भागों में बंटा है- एनडी और पीएस। एनडी का मतलब होता है नार्कोटिक ड्रग और पीएस का मतलब होता है साइकोट्रॉपिक सबस्टांस । एनडीपीएस एक्ट के तहत ही साल 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन हुआ था।
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