नई दिल्ली। एम्स और सफदरजंग (AIIMS And Safdarjung) के रेजीडेंट डॉक्टरों (Resident Doctors) ने मध्य प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डॉक्टर मानदेय बढ़ाने और अगर वह या उनके परिवार के लोग संक्रमित होते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें अस्पताल में बिस्तर मुहैया कराये जाने की मांग कर रहे हैं. दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों ने श्री अरबिंदो मार्ग (Sri Aurobindo Marg) तक मार्च किया और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डॉक्टरों की मांगों का समर्थन किया. फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा (सेवानिवृत्त) से भी मुलाकात की और उन्हें मध्य प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांग से अवगत कराया.
एम्स (AIIMS) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को विरोध करने वाले डॉक्टरों के साथ तत्काल बैठक करनी चाहिए और अगले 24 घंटों के भीतर इस मुद्दे को हल करना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा डॉक्टरों के प्रदर्शन को ग़ैरक़ानूनी बताए जाने और डॉक्टरों को ड्यूटी पर वापस जाने का निर्देश देने के बाद राज्य के करीब 3,000 डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्य सरकार ने शनिवार को इन डॉक्टरों को छात्रावास खाली करने के निर्देश दिए हैं.
मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल ने सियासी रंग भी ले लिया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस पर ही जूनियर डॉक्टर को गुमराह करने का आरोप लगाया है, तो पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी शर्मा ने उन पर पलटवार किया है. पीसी शर्मा ने विश्वास सारंग के इस बयान पर कहा है कि कांग्रेस ने जूनियर डॉक्टर्स को हड़ताल पर बैठने के लिए नहीं कहा था. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे वक्त में अपने अहंकार को छोडक़र जूनियर डॉक्टर से बातचीत करना चाहिए.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved