सडक़ पर आने की तैयारी में हड़ताली डॉक्टर
इंदौर। जूनियर डॉक्टरों (Junior Doctors) की हड़ताल (Strike) लगातार तीसरे दिन जारी है। इससे एमवायएच, सुपर स्पेशलिटी, एमटीएच, एमआरटीबी अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई हंै। बाहर से डॉक्टर बुलाने पड़ रहे हैं। जूडॉ भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। वह अब सडक़ पर आने की तैयारी में है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College) एवं डेंटल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर (Junior Doctors) बुधवार को भी प्रदेशव्यापी हड़ताल (Strike) पर हैं, जिससे एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। ओपीडी, इमरजेंसी सेवाएं, ऑपरेशन के बाद अब कोविड और ब्लैक फंगस के मरीजों को भी इन जूनियर डॉक्टरों ने देखना बंद कर दिया है, जिससे मरीजों को सही उपचार नहीं मिल रहा है। व्यवस्थाएं बिगड़ती देख इन अस्पतालों के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाए गए हैं। कोविड वार्डों में करीब 60 से 70 जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी रहती है, पर इनके नहीं पहुंचने से कोविड अस्पतालों के लिए अलग-अलग जगह पदस्थ डॉक्टरों को बुलाया गया। जरूरत पड़ी तो अन्य जगह पदस्थ डॉक्टरों को बुलाया जाएगा। 50 से ज्यादा डॉक्टरों को अन्य जिलों से बुलाया गया है। कल एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने भी हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को नोटिस जारी कर तत्काल कार्यस्थल पर उपस्थित होने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर जूनियर डॉक्टर (Junior Doctors) अब भी मांगों पर अड़े हुए हैं। आज भी वे काम पर नहीं पहुंचे। उनका कहना है कि अब हमें व हमारे परिवार को डराया जा रहा है। हम मांगों को लेकर पीछे नहीं हटने वाले हैं। हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो हम सडक़ पर आकर प्रदर्शन करेंगे और अन्य साथियों व जनता को भी साथ में लेंगे।
नहीं हो पा रही एंडोस्कोपी और ऑपरेशन
हड़ताल (Strike) के कारण सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस (Black fungus) से पीडि़त मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। अस्पताल में 300 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। एमवायएच में सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस (Black fungus) के ही मरीज हैं। यहां प्रतिदिन इन मरीजों के ऑपरेशन और एंडोस्कोपी हो रही है, लेकिन जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण इस काम में परेशानी आ रही है। ब्लैक फंगस के कल 25 और नए मरीज भर्ती हुए, 13 की सर्जरी की गई। अब तक 202 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है। कल 10 मरीजों की एंडोस्कोपी की गई। अब तक 389 मरीजों की एंडोस्कोपी की जा चुकी है। वहीं 7 मरीजों को डिस्चार्ज भी किया गया।
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