याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में,
मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई।
अरेरा हिल्स के मुहाने पे मंत्रालय से मालवीय नगर के जाते हुए कोने में बड़ी वसी इमारत हुआ करती थी। लोग उसे पत्रकार भवन के नाम से जानते थे। कोई चार बरस पेले उस खस्ताहाल हो चुकी इमारत को जिला प्रशासन ने ज़मीदोज़ करवा दिया। पिछले दिनों उस रास्ते से गुजऱना हुआ तो तीस पैंतीस साल पुरानी माज़ी की तसवीर आंखों में घूम गई। आज वहां 53 बरस पुरानी उस इमारत का मलबा बिखरा हुआ है। वो ईंटें जो भोपाल की पहली पीढ़ी के सहाफियों ने पत्रकार भवन की तामीर में लगाई थीं, जैसे सवाल कर रही हों…काश हमे सहेज कर रखा जाता। बहरहाल, प्रशासन ने उस इमारत को इस तर्क के साथ तोड़ दिया के इसकी लीज पूरी हो चुकी है। इसे ढहाने के बाद सरकार ने कहा था के यहां भोत जानदार मीडिया सेंटर बनाया जाएगा। उसकी लागत 10 करोड़ होगी। सरकार अपना वादा न जाने कब पूरा करेगी। बाकी पत्रकार भवन बनने की मुक्तसर दास्तान आपको बता देता हूं। बात 1969 की है। सूबे में संविद सरकार थी। मुख्यमंत्री थे गोविंदनारायन सिंह। उस साल भोपाल में इंडियन फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट का अधिवेशन हुआ था। मुल्क भर के सहाफी भोपाल आये थे। इस अधिवेशन के लिए जो वर्किंग कमेटी बनी थी उसके चेयरमेन थे धन्नालाल शाह। लज्जाशंकर हरदेनिया महामंत्री थे। अधिवेशन खत्म हिने के बाद जब पैसों का हिसाब हुआ तो 40 हज़ार रुपये बच गए। 1969 में 40 हज़ार रुपये बहुत बड़ी साब भोत बड़ी रक़म होती थी।
लिहाज़ा भोपाल के पत्रकारों ने सोचा के इस रकम से क्यों न एक पत्रकार भवन बनाया जाए। लिहाज़ा एक पत्रकार भवन निर्माण समिति बनी। उसमें धन्ना लाल शाह, लज्जाशंकर हरदेनिया, राज भारद्वाज, त्रिभुवन यादव, प्रेमचंद मोदी, प्रेम श्रीवास्तव, मेहता जी, टीसी भादुड़ी शामिल किए गए। समिति ने साबिक़ सीएम गोविंदनारायन सिंह से पत्रकार भवन के लिए ज़मीन और मआली मदद मांगी। सीएम साब ने समिती को 50 हज़ार रुपये दिए और अरेरा हिल्स वाली ज़मीन लीज पे दी। उन्ने 30 हज़ार रुपये राजमाता विजयाराजे सिंधिया से भी दिलवा दिए। साल 1970 में पत्रकार भवन बन गया। पत्रकार नितिन मेहता तब कृष्ना टॉकीज़ की कुर्सियां खरीद लाये और पत्रकार भवन के ऑडिटोरियम में लगवा दीं। खर्चा चलाने के लिए यहां कई अखबारों और न्यूज़ एजेंसियीं के दफ्तर खोल दिये गए। पत्रकार वार्ता के लिए नियम था के एक चाय और 2 बिस्कुट ही पत्रकार ग्रहण करेंगे। पीसी करवाने वाले पत्रकार भवन के केयरटेकर रमेश काका को इनविटेशन छपवाकर दे देते। इससे रमेश काका के दारू का जुगाड़ हो जाता। एक दौर था जब यहां अर्जुन सिंह, सुन्दरलाल पटवा और मोतीलाल वोरा जैसे सीएम आया करते थे। तमाम पत्रकार यहां बिलानागा आते थे। इस इमारत के ढहते ही नए और पुराने सहाफियों की यादें भी ज़मीदोज़ हो गई हैं।
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