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    फिल्मी अंदाज में शुरू हुई ‘बाबा के ढाबा’ की स्टोरी, एक गलती से फिर आ गए सड़क पर

  • June 09, 2021

    नई दिल्ली। किसी फिल्मी अंदाज में शुरू हुई बाबा के ढाबा की स्टोरी वापस ढाबे पर आकर रुक गई है. पिछले दिसंबर में ‘बाबा का ढाबा’ (Baba ka Dhaba )एक रेस्टोरेंट (Restaurant) बन चुका था, लेकिन यह फिल्मी कहानी बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. फरवरी का महीना आते-आते बाबा का रेस्टोरेंट बंद (Baba’s restaurant closed) हो गया और वापस उन्हें ढाबे पर लौटना पड़ा.

    बाबा के नाम से प्रसिद्ध कांता प्रसाद (Kanta Prasad) और उनकी पत्नी बादामी देवी (Badami devi) ने पिछले कई सालों से द‍िल्ली के मालवीय नगर के फुटपाथ पर अपना ढाबा चला रखा है. पिछले दिनों में इतनी प्रसिद्धि मिली सोशल मीडिया के जरिए उन्हें मदद करने वालों का तांता लग गया. पैसा और प्रसिद्धि दिलाने में सबसे आगे नाम एक यूट्यूबर, गौरव वासन का आया.

    लेकिन जैसे ही नाम और पैसा मिला, गौरव वासन से कांता प्रसाद के रिश्ते बिगड़ने लगे. कई और लोग कांता प्रसाद के करीब आ गए और उनकी मदद से कांता प्रसाद ने पास में ही एक अपना रेस्टोरेंट खोल दिया लेकिन दिसंबर में शुरू हुए इस रेस्टोरेंट्स का कारोबार महज 2 महीने चल पाया और फरवरी में उस पर भी ताला लग गया.



    कांता प्रसाद बताते हैं कि रेस्टोरेंट में उन्हें जबरदस्त घाटा हो रहा था. उन्हें कम से कम 1 लाख रुपये का खर्च हर महीने आता था जबक‍ि कमाई 30 हजार से ज्यादा नहीं हो रही थी. तभी उन्होंने फैसला लिया कि अब वह अपना रेस्टोरेंट बंद कर देंगे और जिस ढाबे पर वह सालों से काम करते आ रहे हैं, उसी से अपना काम चलाते रहेंगे.

    इस बीच जब उनसे गौरव वासन को लेकर के सवाल पूछा तो बाबा ने जवाब दिया कि गौरव के दरवाजे अब खुले हैं. कांता प्रसाद मानते हैं क‍ि गौरव को ले करके मुझे कई लोगों ने बरगला दिया और इसीलिए गौरव से मेरी दूरी बढ़ गई. अब मैं उस पूरी घटना को लेकर शर्मिंदा हूं और अगर गौरव मेरे पास कभी भी आना चाहे तो उनका स्वागत है.

    कांता प्रसाद यह भी बताते हैं कि जो पैसा उन्हें सोशल मीडिया की प्रसिद्धि से मिला उसका इस्तेमाल उन्होंने रेस्टोरेंट के साथ-साथ अपने घर को बनाने के लिए भी किया है. कांता प्रसाद कहते हैं कि उन्होंने कुछ पैसा अपनी आगे की जिंदगी को ध्यान में रखते हुए संभाल कर भी रखा है.

    अपने ढाबे में तवे पर लगातार रोटी पकाते हुए पसीने में भीगे कांता प्रसाद अपनी कहानी को कुछ इस तरह से बयान करते हैं. कहते हैं क‍ि मैं कुछ ज्यादा ही ऊंची उड़ान भरने में लग गया था लेकिन वह उड़ान छोटी निकली क्योंकि कुछ लोगों ने मेरे पंख काट दिए. बाबा के चेहरे पर उम्र का असर और साथ ही साथ निराशा भी साफ दिखाई देती है लेकिन वह कहते हैं कि जैसे मेहनत से मैंने इतने साल अपना ढाबा चलाया है वैसे ही आगे भी चलाता रहूंगा.

    कुछ दूर ही जमीन पर बैठी उनकी पत्नी बादामी देवी अब पूरे मामले पर बहुत कुछ कहना नहीं चाहती. हमारे बार-बार अनुरोध करने पर भी उन्होंने इस पूरे विवाद पर कुछ भी नहीं बोला. बादामी कहती रही कि आप जो भी बोलेंगे वह कांता प्रसाद ही बोलेंगे. तो फिलहाल यह तो कहा ही जा सकता है कि अर्श पर पहुंचे बाबा के ढाबे की कहानी वापस फर्श पर आ पहुंची है.

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