नई दिल्ली। कर्नाटक (Karnataka) के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) की मूर्ति रामलला के दरबार में विराजेगी। अरुण रोजाना 18 घंटे काम करते थे, करीब सात महीने में उन्होंने रामलला की अचल मूर्ति (Immovable statue of Ramlala) गढ़ी है। रोजाना काम शुरू करने से पहले राम जी की आरती-पूजा व हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa recitation) करते थे। 15-15 दिन तक परिवार से बात नहीं करते थे। सात महीने के कठिन परिश्रम ने अरुण योगीराज का मान आज पूरे विश्व में बढ़ा दिया है। अरुण योगीराज मूलत: कर्नाटक के मैसूर से हैं। उनके परिवार में एक से बढ़कर एक मूर्तिकार रहे हैं।
उनकी पांच पीढि़यां मूर्ति बनाने या तराशने का काम कर रही हैं। अरुण योगीराज के दादा बसवन्ना शिल्पी भी जाने-माने मूर्तिकार थे। उन्हें मैसूर के राजा का संरक्षण हासिल था।अरुण को बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक था। अरुण ने एमबीए किया है। इसके बाद वो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगे, लेकिन मूर्तिकला को नहीं भूल पाए। आखिरकार साल 2008 में जॉब छोड़कर उन्होंने मूर्तिकला में कॅरियर बनाने का रिस्क लिया। उनका रिस्क सफल रहा। वे देश के जाने माने मूर्तिकार बन गए।
चयनित मूर्ति की 9 विशेषताएं
-श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है, यह जल रोधी होती है।
-चंदन, रोली आदि लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी।
-पैर की अंगुली से ललाट तक रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है।
-चयनित मूर्ति का वजन करीब 150 से 200 किलो है।
-मूर्ति के ऊपर मुकुट व आभामंडल होगा।
-श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं।
-मस्तक सुंदर, आंखे बड़ी और ललाट भव्य है।
-कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर व धनुष होगा।
-मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलकेगी।
पहले ये मूर्तियां बना चुके हैं योगीराज
-केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा
-मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा
-मैसूर के राजा की 14़ 5 फीट ऊंची सफेद अमृत शिला प्रतिमा
-मैसूर के चुंचनकट्टे में हनुमान जी की 21 फीट ऊंची प्रतिमा
-संविधान निर्माता डॉ़ बीआर आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा
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