आठों प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के…जनप्रतिनिधि इसलिए खामोश, क्योंकि राज्य में भी भाजपा की सरकार
इंदौर, अमित जलधारी।
इंदौर (Indore) से जुड़े आठ अहम मामलों में राज्य सरकार ( state government) या तो खामोशी अख्तियार कर बैठी है या उन पर निर्णय न लेकर उन्हें लगातार टाला (avoided) जा रहा है। शहर विकास से संबंधित ये आठों विषय केंद्र की योजनाओं (The Centre’s plans) पर हैं। जनप्रतिनिधियों के सामने परेशानी यह है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें भाजपा की हैं, जिन पर मुखर होकर वे भी सरकार को घेर नहीं पा रहे हैं।
ये आठ विषय जिन पर राज्य सरकार को लेना है निर्णय
1. पूर्वी रिंग रोड-पहले पश्चिमी के साथ पूर्वी रिंग रोड का भी निर्माण होना था। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ने टेंडर भी बुला लिए थे, लेकिन ऐन मौके पर पश्चिमी रिंग रोड का काम मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से कराने का प्रस्ताव केंद्र को दे दिया। इससे अच्छा भला प्रोजेक्ट अटक गया।
2. जीएसटी ट्रिब्यूनल-जहां दूसरे राज्य अपने शहरों में ज्यादा से ज्यादा जगह जीएसटी ट्रिब्यूनल या जीएसटी बेंच स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं मध्यप्रदेश सरकार यह बेंच सिर्फ भोपाल में स्थापित करने पर तुली है और केंद्र को इंदौर में भी बेंच स्थापित करने का प्रस्ताव नहीं भेज रही। यह स्थिति तब है, जब इंदौर व्यावसायिक राजधानी होने के कारण सबसे पहले ट्रिब्यूनल की दावेदारी रखता है। इसे लेकर राज्य सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
3. महू-खंडवा ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट-महू-खंडवा ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट के तहत रेलवे को प्रदेश के वन और पर्यावरण विभाग से न तो जमीन नहीं मिल रही है, न अनुमति के इंतजार में आंशिक काम करने की अनुमति मिल पा रही है। एक तरफ सीएम सिंहस्थ तक महू-खंडवा ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट पूरा करने का आग्रह करते हैं, वहीं उनकी सरकार के नुमाइंदे ही इसमें सहयोग नहीं कर रहे। ऐसे में सिंहस्थ तक ओंकारेश्वर-इंदौर-उज्जैन का रेल मार्ग से जुडऩा असंभव होता जा रहा है।
4. मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब-पीथमपुर के पास बनाए जा रहे मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के लिए तीन साल से जमीन लेने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार को अब तक कोई जमीन नहीं मिल पाई है। दिलचस्प बात यह है कि करीब 1000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं और सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय 2023 में काम का ठेका कंपनी को सौंप चुका है।
5. एयरपोर्ट विस्तार की जमीन-जब तक इंदौर के देवी अहिल्या एयरपोर्ट के विस्तार की पूरी जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी को नहीं मिल जाती, तब तक एक नई छोटी टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाना है। इसके लिए भी कुछ जमीन की जरूरत है। यह जमीन भी राज्य सरकार दे नहीं रही है, जिससे एयरपोर्ट विकास के कई बड़े काम अटके पड़े हैं।
6. एलिवेटेड ब्रिज-केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से इंदौर में एलआईजी से नौलखा चौराहे के बीच 6.50 किमी लंबे हिस्से में एलिवेटेड ब्रिज बनना है। इसके लिए केंद्र ने 350 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। तीन साल पहले टेंडर बुलाकर प्रोजेक्ट का काम ठेकेदार एजेंसी को सौंपा जा चुका है, लेकिन कोई भी यह तय नहीं कर पा रहा है कि यह ब्रिज बनाना है या नहीं।
7. स्मार्ट सिटी के अधूरे कार्य-स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केंद्र ने अपने हिस्से की पूरी राशि राज्य सरकार को दे दी है, लेकिन राज्य सरकार ने अपना पूरा अंशदान नहीं दिया है। इससे पहले मंजूर हुए कई प्रोजेक्ट के काम या तो अधूरे पड़े हैं या शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इस संबंध में राज्य सरकार को फैसला लेना है।
8. केबल कार और मेट्रो प्रोजेक्ट-केबल कार को लेकर शहर में दो-तीन साल से चर्चाओं और सर्वे का दौर चल रहा है। इस मामले में अब तक अनिर्णय की स्थिति है, जबकि केंद्र सरकार प्रस्ताव देने का कह चुकी है।
सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि शहर विकास से जुड़े आठ ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें या तो केंद्र सरकार ने मंजूरी या पैसा दे दिया है, लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर अलग-अलग कारणों से काम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इन सब विषयों को लेकर सीएम की मौजूदगी में बड़ी बैठक करने की तैयारी है। अगस्त में ही सीएम से समय लेकर इंदौर या भोपाल में बैठक करेंगे। – शंकर लालवानी, सांसद
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