भोपाल। औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क, नाली, ड्रेनेज के निर्माण से लेकर कचरे के उठाव जैसे मेंटेनेंस के कार्यों की जिम्मेदारी नगर निगम और जिला उद्योग केंद्र के पास रहती है, लेकिन जल्द ही इस व्यवस्था में बदलाव करने के संकेत मप्र सरकार ने दिए है। एमएसएमई मंत्री ने सीआईआई के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा में भरोसा दिया है कि औद्योगिक क्षेत्रों का मेंटेनेंस का काम जल्द ही स्थानीय एसोसिएशन के हाथों में दे दिया जाएगा।
क्या है देवास इंडस्ट्रियल एरिया का मॉडल
इंडस्ट्रियल एरिया के मेंटेनेंस के लिए सभी इंडस्ट्री से नगर निगम, जिला उद्योग केंद्र और कुछ जगहों पर एमपी आईडीसी तक मेंटेनेंस शुल्क वसूल करते हैं, लेकिन उद्यमियों की शिकायत रही है कि मेंटेनेंस शुल्क देने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्रों में मेंटेनेंस के कार्य होते ही नहीं है। इससे तंग आकर देवास इंडस्ट्रियल एरिया के एसोसिएशन ने निर्णय लिया कि वे स्वयं अपने पैसे से इंडस्ट्रियल एरिया का मेंटेनेंस कराएंगे। इस निर्णय के बाद मालूम चला कि इंडस्ट्रियल एरिया में मेंटेनेंस की लागत मात्र ढाई रुपए प्रति वर्गफीट आ रही थी, जबकि इससे पहले सरकारी संस्थाएं न्यूनतम 10 रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से मेंटेनेंस की लागत बनाती थीं। जाहिर है, इसमें लंबा भ्रष्टाचार का खेल है और इसके बाद भी मेंटेनेंस न होने की उद्यमियों की शिकायत। देवास के इस मॉडल की चर्चा ग्वालियर, भोपाल और इंदौर के उद्यमियों ने एमएसएमई मंत्री सखलेचा के समक्ष की, जिसके बाद उन्होंने भरोसा दिया है कि नई औद्योगिक नीति के साथ ही मेंटेनेंस को लेकर देवास मॉडल पूरे प्रदेश में लागू कर देंगे।
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